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अन्य उच्चतर शिक्षा संस्थान

1. भारतीय उच्‍चतर अध्‍ययन संस्‍थान

भारतीय उच्‍चतर अध्‍ययन संस्‍थान, शिमला की स्‍थापना वर्ष 1965 में सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत की गई थी और यह राष्‍ट्रपति निवास, शिमला में स्थित है। यह संस्‍थान जीवन तथा विचार संबंधी मौलिक विषयों एवं समस्‍याओं के बारे में नि:शुल्‍क एवं सृजनात्‍मक अन्‍वेषण के लिए एक आवासीय केन्‍द्र है। इस संस्‍थान के कार्य इस प्रकार हैं :-

  • गहरे मानव महत्‍व वाले विषयों में सृजनात्‍मक सोच को बढ़ावा देना और शैक्षिक शोध हेतु उपयुक्‍त माहौल प्रदान करना और साथ ही मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा विकास, पद्धतियों एवं तकनीकों में उच्‍च अनुसंधान शुरू करना, इनका आयोजन करना, मार्ग दर्शन तथा प्रोत्‍साहन देना।
  • उच्‍च परामर्श सहयोग हेतु सुविधाएं तथा व्‍यापक पुस्‍तकालय एवं प्रलेखन सुविधाएं प्रदान करना; जिनमें प्रत्‍येक मामले में निर्धारित की जाने वाली विशिष्‍ट अवधि के लिए शिक्षकों तथा अन्‍य अध्‍येताओं के लिए उच्‍च अध्‍ययन हेतु वित्‍तीय सहायता शामिल है।
  • राष्‍ट्रीय सेमिनार, लेक्‍चर, संगोष्ठियां, सम्‍मेलन आदि का आयोजन करना।
  • व्‍याख्‍यान देने अथवा शोध संचालित करने के लिए भारत तथा विदेश से अतिथि प्रोफेसरों तथा अतिथि अध्‍येताओं को आमंत्रित करना ।
  • कोई ऐसी पत्रिकाएं, आवधिक पत्रिकाएं, समाचारपत्र, पुस्‍तकें, पैम्‍फलेट, मोनोग्राफों या पोस्‍टरों जो इस उद्देश्‍य को बढ़ावा देने के लिए वांछनीय समझे जाएं, प्रारंभ करना, संचालन करना, मुद्रित करना, प्रकाशित करना तथा इन्‍हें प्रदर्शित करना ।
  • शोध के परिणामों को एकत्र करने के लिए व्‍यवस्‍था करना और प्रकाशन हेतु उनकी सामाजिक प्रासंगिकता के अनुरूप उनका विश्‍लेषण करना तथा उन्‍हें अपनाना ।
  • ज्ञान के प्रचार-प्रसार में अन्‍य शैक्षिक अथवा सरकारी निकायों के साथ सहयोग करना ।
  • छात्रवृत्तियों तथा शोधकर्ताओं द्वारा स्‍वतंत्र रूप से शोध संचालित करने के लिए फेलोशिप प्रदान करना।

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2. डा. जाकिर हुसैन स्‍मारक कॉलेज न्‍यास

डा. जाकिर हुसैन स्‍मारक कॉलेज न्‍यास, दिल्‍ली का गठन जाकिर हुसैन कॉलेज (पूर्ववर्ती दिल्‍ली कॉलेज) के प्रबंधन और इसे जारी रखने के लिए वर्ष 1973 में किया गया था। प्रधान मंत्री इस न्‍यास के अध्‍यक्ष हैं और मानव संसाधन विकास मंत्री उपाध्‍यक्ष हैं। जाकिर हुसैन कॉलेज दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के संघटक कॉलेजों में से एक है। विगत में यह कॉलेज प्राचीर शहर में अजमेरी गेट स्थित एक पुरानी और जीर्ण-शीर्ण ऐतिहासिक इमारत में अवस्थित था। पुराना परिसर 300 वर्ष से भी अधिक पुराना था। कॉलेज को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्‍व. पंडित जवाहर लाल नेहरू और भारत के पूर्ववर्ती राष्‍ट्रपति स्‍व. डा. जाकिर हुसैन, जैसे राष्‍ट्रीय नेताओं का आशीर्वाद प्राप्‍त था। विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग इस कॉलेज के 95% आवर्ती अनुदान को पूरा करता है और शेष 5 प्रतिशत डा. जाकिर हुसैन कॉलेज न्‍यास द्वारा वहन किया जाता है। चूंकि न्‍यास के अपने कोई संसाधन नहीं हैं अत: अनुदान उच्‍चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उपलब्‍ध कराये जाते हैं। कॉलेज के अनुरक्षण व्‍यय के अलावा नए परिसर जिसके लिए भूमि शहरी विकास मंत्रालय द्वारा आबंटित की गई थी, के निर्माण की लागत को न्‍यास और विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग 50:50 प्रतिशत आधार पर वहन करते हैं।

कॉलेज भवन के प्रथम चरण के पूरा होने के बाद कॉलेज को 1991 में अजमेरी गेट स्थित पुरानी इमारत के नए परिसर में स्‍थानान्‍तरित कर दिया गया है।
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3. श्री लाल बहादुर शास्‍त्री राष्‍ट्रीय संस्‍कृत विद्यापीठ, नई दिल्‍ली तथा राष्‍ट्रीय संस्‍कृत विद्यापीठ तिरूपति

श्री लाल बहादुर शास्‍त्री राष्‍ट्रीय संस्‍कृत विद्यापीठ, नई दिल्‍ली की स्‍थापना वर्ष 1962 में की गयी थी और इसे वर्ष 1987 में सम विश्‍वविद्यालय घोषित किया गया था।

विद्यापीठ, शास्‍त्री से विद्या वाचस्‍पति (डी.लिट.) हेतु अध्‍ययन के पाठ्यक्रम मुहैया कराता है। वर्ष 1997-98 से विद्यापीठ वैदिक में भी डिप्‍लोमा प्रदान कर रहा है और अध्‍यापकों के लिए पुनश्‍चर्या पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। यह साहित्‍य, संस्‍कृत, दर्शन और वेद वेदंगा संकाय प्रभागों में भी कार्यक्रम प्रस्‍तुत करता है। इस संकाय में 18 विभाग हैं अर्थात् साहित्‍य, पुराण इतिहास, प्राकीत, न्‍याय, वैशैषिक, सांरव्‍य योग, अद्वैत वेदान्‍त, जैन दर्शन, सर्व दर्शन, मीमांसा, विशिष्‍ट अद्वैत वेदान्‍त, वेद, धर्मशास्‍त्र, व्‍याकरण, पुरोहितया, ज्‍योतिष, शिक्षा शास्‍त्र और शिक्षाचार्य। विद्यापीठ वास्‍तुशास्‍त्र और चिकित्‍सा ज्‍योतिष में भी पीजी डिप्‍लोमा प्रदान करता है।
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4. राष्‍ट्रीय संस्‍कृत विद्यापीठ तिरूपति

राष्‍ट्रीय संस्‍कृत विद्यापीठ, तिरूपति की स्‍थापना शास्‍त्रों के ज्ञान को परिरक्षित करने के साथ-साथ शिक्षण और अनुसंधान के जरिए संस्‍कृत भाषा और साहित्‍य, दर्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से वर्ष 1986 में की गई थी। इन संस्‍थाओं को वर्ष 1987 में सम विश्‍वविद्यालय घोषित किया गया था। इन दोनों संस्‍थाओं द्वारा अपने उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने हेतु बहुत से कार्यक्रम और क्रियाकलाप कारगर रूप से शुरू किए गए हैं। ये संस्‍थाएं अपने खर्चों को पूरा करने हेतु वार्षिक अनुदान विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के जरिए प्राप्‍त करती हैं।

विद्यापीठ प्राक शास्‍त्री (इन्‍टरमीडिएट) से लेकर विद्या वृद्धि (पी.एचडी.) तक विभिन्‍न विषयों में अध्‍ययन हेतु पाठ्यक्रम और डिप्‍लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम उपलब्‍ध कराता है। इस विद्यापीठ का शिक्षा-शास्‍त्र विभाग आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने के लिए एक उपाय के रूप में शिक्षा में उच्‍च अध्‍ययन संस्‍थान (आईएएसई) के रूप में कार्य कर रहा है। प्रकाशन क्रियाकलापों को बढ़ावा देने हेतु विद्यापीठ में एक कम्‍प्‍यूटर केन्‍द्र स्‍थापित किया गया था। विद्यापीठ में निम्‍नलिखित विभाग हैं : साहित्‍य, व्‍याकरण, न्‍याय, ज्‍योतिष, अद्वैत-वेदान्‍त, द्वैत वेदान्‍त, विशिष्‍ट द्वैत वेदान्‍त, अनुसंधान तथा प्रकाशन, शारीरिक शिक्षा और शिक्षा। (आईएसएसई)
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5. राष्‍ट्रीय शिक्षा आयोजना एवं प्रशासन विश्‍वविद्यालय (एनयूईपीए), नई दिल्‍ली

राष्‍ट्रीय शिक्षा आयोजना एवं प्रशासन विश्‍वविद्यालय (एनयूईपीए), नई दिल्‍ली सम विश्‍वविद्यालय के रूप में स्‍थापित एक विश्‍वविद्यालय है और यह पूर्ण रूप से उच्‍चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा वित्‍त पोषित है। इस संस्‍थान के उद्देश्‍य शिक्षा आयोजना एवं प्रशासन में अनुसंधान करना, बढ़ावा देना और इसमें समन्‍वय करना, इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और परामर्शी सेवाएं उपलब्‍ध कराना, महत्‍वपूर्ण स्‍तर पर कार्यरत पदाधिकारियों के साथ साथ केन्‍द्र तथा राज्‍यों के वरिष्‍ठ स्‍तर के प्रशासकों को प्रशिक्षित और इसके अनुकूलित बनाना, अन्‍य एजेन्सियों संस्‍थाओं और संगठनों के साथ सहयोग करना, अन्‍य देशों, विशेष रूप से एशियाई क्षेत्र के देशों के शैक्षिक आयोजना तथा प्रशासन के क्षेत्र में प्रशिक्षण तथा अनुसंधान के लिए तथा पत्र-पत्रिकाओं और पुस्‍तकों को मुद्रित करने और प्रकाशित करने में सुविधाएं उपलब्‍ध कराना, शिक्षा आयोजना तथा प्रशासन के क्षेत्र में अनुभव तथा विशेषज्ञता को अन्‍य देशों के साथ आपस में बांटना तथा इन उद्देश्‍यों को आगे बढ़ाने के लिए तुलनात्‍मक अध्‍ययन संचालित करना है।

राष्‍ट्रीय शिक्षा आयोजना एवं प्रशासन विश्‍वविद्यालय (एनयूईपीए) शिक्षा आयोजना और प्रशासन तथा अन्‍तर विषयक विषयों के संबंध में एक सुव्‍यवस्थित पुस्‍तकालय/प्रलेखन केन्‍द्र का अनुरक्षण करता है। यह संभवतया एशियाई क्षेत्र में शिक्षा आयोजना और प्रबंधन के क्षेत्र में सबसे समृद्धशाली पुस्‍तकालय के रूप में जाना जाता है। यह संकाय, अनुसंधान छात्रों और विभिन्‍न कार्यक्रमों के प्रतिभागियों तथा अन्‍य संगठनों को भी अन्‍तर पुस्‍तकालय ऋण प्रणाली के माध्‍यम से सेवाएं प्रदान करता है।
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6. राष्‍ट्रीय संस्‍कृत संस्‍थान (आरएसकेएस), नई दिल्‍ली

राष्‍ट्रीय संस्‍कृत संस्‍थान (आरएसकेएस), नई दिल्‍ली की स्‍थापना देश भर में संस्‍कृत के विकास और उन्‍नयन के लिए सोसायटी पंजीकरण अधिनियम,1860 (1860 का अधिनियम XXI) के अंतर्गत पंजीकृत एक स्‍वायत्‍त संगठन के रूप में 15 अक्‍तूबर, 1970 को की गई थी। इसे मई, 2002 में सम विश्‍वविद्यालय घोषित किया गया था। यह पूर्ण रूप से भारत सरकार द्वारा वित्‍त पोषित है। यह संस्‍कृत के प्रचार-प्रसार और विकास के लिए एक शीर्ष संस्‍था के रूप में कार्य करता है और संस्‍कृत अध्‍ययनों के विकास के लिए विभिन्‍न योजनाओं और स्‍कीमों को तैयार करने और इन्‍हे कार्यान्वित करने में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सहायता करता है। इसने संस्‍कृत भाषा के प्रचार तथा विकास और शिक्षा से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार करने हेतु भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 1956 में गठित संस्‍कृत आयोग द्वारा की गई विभिन्‍न सिफारिशों के कारगर कार्यान्‍वयन के लिए एक नोडल निकाय की भूमिका का उत्‍तरदायित्‍व ग्रहण किया है।
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