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महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान
महर्ष संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एम.एस.आर.वी.वी.पी.), उज्जैन, जो कि एक स्वायत्त संगठन है, की स्थापना नई दिल्ली में जनवरी, 1987 में वेद पाठशालाओं की स्थापना तथा उन्हें सहायता प्रदान करके वैदिक अध्ययनों के परिरक्षण, संरक्षण तथा विकास हेतु की गई थी। इसके मुख्यालय को मई, 1993 में उज्जैन में स्थानांतरित कर दिया गया था।
प्रतिष्ठान के उद्देश्य इस प्रकार हैं :-
- वैदिक अध्ययनों की मौखिक परम्परा का परिरक्षण, संरक्षण तथा विकास करना जिसके लिए प्रतिष्ठान विभिन्न कार्यकलाप करता है जैसे, पारम्परिक वैदिक संस्थाओं तथा विद्वानों को सहायता देना, अध्येतावृत्तियां/छात्रवृत्तियां प्रदान करना, श्रव्य/दृश्य टेपों आदि को तैयार करना, आदि;
- मानवीय एजेंसी के माध्यम से वेदों के गायन तथा पठन की मौखिक परम्परा को प्रोत्साहन देना;
- उच्चतर अनुसंधान के क्षेत्र में समर्पित छात्रों को प्रोत्साहित करना और उनके द्वारा इस कार्य में शामिल होने को सुनिश्चित करना;
- छात्रों को वैदिक ज्ञान की पृष्ठभूमि वाली अनुसंधान सुविधाएं उपलब्ध कराना तथा उन्हें पर्याप्त वैज्ञानिक तथा विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से लैस करना, ताकि वेदों में समाविष्ट आधुनिक वैज्ञानिक विचारों को विशेष रूप से गणित, खगोल-विज्ञान, मौसम विज्ञान, रसायन विज्ञान, द्रव-इंजीनियरी, आदि विषयों में समाविष्ट विचारों को आधुनिक विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी से जोड़ा जा सके तथा उनके और आधुनिक विद्वानों के बीच संबंध स्थापित किया जा सके;
- समग्र देश में वैदिक पाठशालाओं/अनुसंधान केन्द्रों को इसके किसी उद्देश्य हेतु स्थापित करना, अधिग्रहित करना, प्रबंधन करना, पर्यवेक्षण करना अथवा उनका अनुरक्षण करना और संचालित करना;
- ऐसी स्थायी निधियों तथा न्यासों को पुनर्जीवित तथा उनकी व्यवस्था करना जो बंद हो चुके हैं अथवा ठीक ढंग से कार्य नहीं कर रहे हैं;
- ऐसी वेद शाखाओं पर विशेष ध्यान देना जो कि विलुप्त हो चुकी हैं तथा जिनके लिए मानव रिपॉजिटरियां चयन की जा सकती हैं तथा इन शाखाओं से संबंधित पंडितों की विस्तृत सूची तैयार करना;
- वेदों से संबंधित मौखिक परम्पराओं की मौजूदा स्थिति, विशेष रूप से देश में विभिन्न क्षेत्रों, संस्थाओं तथा मठों में गायन तथा पठन की विशिष्टता का पता लगाना;
- वैदिक शाखाओं की विभिन्न मौखिक परम्पराओं की मूल पाठ विषयक सामग्री, मुद्रित हस्तलेखों, मूल पाठों, टिप्पणियों तथा व्याख्याओं आदि की स्थिति के बारे में सूचना एकत्रित करना;
- देश में रिकार्डिंग की श्रव्य तथा दृश्य दोनों स्वरूपों में उपलब्ध मौजूदा स्थिति के बारे में सूचना एकत्रित करना;
- विज्ञान, कृषि, प्रौद्योगिकी, दर्शनशास्त्र, योग, शिक्षा, काव्य, व्याकरण, भाषा-विज्ञान तथा वैदिक परम्परा सहित वैदिक काल के प्रारंभिक समय से लेकर आज तक वैदिक मूल पाठों तथा वैदिक साहित्य में वैज्ञानिक ज्ञान की प्रगति के लिए अनुसंधान करना तथा पुस्तकालय, अनुसंधान उपस्कर, अनुसंधान सुविधाओं, सहायक कर्मचारियों तथा अन्य तकनीकी जनशक्ति हेतु व्यवस्था करना; और संगम ज्ञापन के अनुसार ऐसे सभी कार्यकलाप करना जिन्हें प्रतिष्ठान के सभी अथवा किसी उद्देश्य को हासिल करने हेतु आवश्यक, प्रासंगिक अथवा सहायक समझा जाए।
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