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भाषा शिक्षा ब्यूरो के अंतर्गत अधीनस्थ कार्यालय
केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय
हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने और भारत के संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसरण में समग्र भारत की सम्पर्क भाषा के रूप में इसका विकास करने हेतु भारत द्वारा केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की स्थापना 1 मार्च, 1960 में तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय (अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय), उच्चतर शिक्षा विभाग के अंतर्गत की गई थी। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद और गुवाहाटी में स्थित हैं। इसकी स्थापना किए जाने की तारीख से निदेशालय हिन्दी के प्रचार-प्रसार और विकास के लिए बहुत सी योजनाएं कार्यान्वित कर रहा है।
निदेशालय निम्नानुसार बहुत सी योजनाएं कार्यान्वित कर रहा है :-
- सरकारी कर्मचारियों के लिए हिन्दी- केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय हिन्दी प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, हिन्दी में डिप्लोमा पाठ्यक्रम, उच्च डिप्लोमा पाठ्यक्रम और सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ पाठ्यक्रम जैसे बहुत से पाठ्यक्रम संचालित करता रहा है।
- एक भाषा में/द्विभाषी, त्रिभाषी और बहुभाषी शब्दकोशों के प्रकाशन की योजना।
- पत्राचार पाठ्यक्रम।
- हिन्दी लेखकों को पुरस्कार।
- विस्तार सेवाएं और कार्यक्रम।
- श्रव्य कैसेटों के माध्यम से हिन्दी शिक्षण और इसका प्रचार-प्रसार करना।
- पुस्तकों के प्रकाशन/खरीद करने के लिए सहायता की योजना सहित हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए स्वयं सेवी संगठनों को अनुदान देना।
- नि:शुल्क वितरण हेतु हिन्दी पुस्तकों की खरीद करना।
और ब्यौरे के लिए, यहां क्लिक करें : http://www.chdpublication.mhrd.gov.in
वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग
वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 344 के खण्ड (4) के परंतुक के अंतर्गत भारत सरकार के एक संकल्प के द्वारा निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ 21 दिसम्बर, 1960 में किया गया था- हिन्दी और सभी भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों का विकास करना और परिभाषित करना; शब्दावलियों को प्रकाशित करना; पारिभाषिक शब्दकोश एवं विश्वकोश तैयार करना; यह देखना कि विकसित किए गए शब्द और उनकी परिभाषाएं छात्रों, शिक्षकों, विद्वानों, वैज्ञानिकों, अधिकारियों आदि को पहुंचती हैं; (कार्यशालाओं/संगोष्ठियों/प्रबोधन कार्यक्रमों के जरिए) किए गए कार्य के संबंध में उपयोगी फीडबैक प्राप्त करके उचित उपयोग/आवश्यक अद्यतन/संशोधन/सुधार सुनिश्चित करना, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में शब्दावली की एकरूपता सुनिश्चित करने हेतु सभी राज्यों के साथ समन्वय करना।
आयोग निम्नलिखित कार्य करता है :-
- अंग्रेजी/हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के संबंध में द्विभाषी और त्रिभाषी शब्दावलियां तैयार करना तथा उनका प्रकाशन करना।
- राष्ट्रीय शब्दावली तैयार करना और उसका प्रकाशन करना।
- स्कूल स्तर की शब्दावली और विभागीय शब्दावलियों की पहचान करना और उनका प्रकाशन करना।
- अखिल भारतीय शब्दों की पहचान करना।
- पारिभाषिक शब्दकोशों और विश्वकोशों को तैयार करना।
- विश्वविद्यालय स्तर की पाठ्य-पुस्तकों, मोनोग्राफों और पत्रिकाओं को तैयार करना।
- ग्रंथ अकादमियों, पाठ्य-पुस्तक बोर्डों और विश्वविद्यालय प्रकोष्ठों को क्षेत्रीय भाषाओं में विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तकों के लिए सहायता अनुदान।
- प्रशिक्षण/प्रबोधन कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और संगोष्ठियों के आदि माध्यम से गढ़े गए और परिभाषित शब्दों का प्रचार-प्रसार, विस्तार और ध्यानपूर्वक समीक्षा करना।
- प्रकाशनों का नि:शुल्क वितरण।
- राष्ट्रीय अनुवाद मिशन को आवश्यक शब्दावली उपलब्ध कराना।
और ब्यौोरे के लिए, यहां क्लिक करें : http://www.csttpublication.mhrd.gov.in
केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर
केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय है, की स्थापना 1969 में की गई थी। इसकी स्थापना भारत सरकार की भाषा नीति को तैयार करने और इसके कार्यान्वयन में सहायता करने तथा भाषा विश्लेषण, भाषा शिक्षा शास्त्र, भाषा प्रौद्योगिकी और समाज में भाषा प्रयोग के क्षेत्रों में अनुसंधान के द्वारा भारतीय भाषाओं के विकास में समन्वय करने हेतु स्थापित की गई है। संस्थान बहुत सी विस्तृत योजनाओं के जरिए भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देता है। अपने उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान बहुत से कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
मुख्य योजनाएं और कार्यक्रम :-
भारतीय भाषाओं का विकास
इस योजना का आशय आदिवासी/लघु/अल्पसंख्यक वर्ग की भाषाओं सहित आधुनिक भारतीय भाषाओं में अनुसंधान, मानव संसाधन के विकास और सामग्री के सृजन के द्वारा भारतीय भाषाओं का विकास करना है।
क्षेत्रीय भाषा केन्द्र
भुवनेश्वर, पुणे, मैसूर, पटियाला, गुवाहाटी, सोलन तथा लखनऊ में स्थित इसके क्षेत्रीय भाषा केन्द्र सरकार के त्रिभाषा सूत्र (फार्मूला) के कार्यान्वयन तथा शिक्षण सामग्री को तैयार करने के लिए कार्य करते हैं। क्षेत्रीय भाषा केन्द्र शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करते हैं जिनमें राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा प्रतिनियुक्त किए गए माध्यमिक स्कूल शिक्षकों को उनकी मातृभाषा से इतर अन्य भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाता है।
सहायता अनुदान योजना
सहायता अनुदान योजना के अंतर्गत केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान अधिक मात्रा में खरीद, आदिवासी भाषाओं सहित भारतीय भाषाओं (हिन्दी, उर्दू, सिंधी, संस्कृत और अंग्रेजी को छोड़कर) में पाण्डुलिपियों और छोटी पत्रिकाओं के प्रकाशन में सहायता करके अलग-अलग व्यक्तियों और स्वयं सेवी संगठनों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है।
राष्ट्रीय परीक्षण सेवा
राष्ट्रीय परीक्षण सेवा (एनटीएस) को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2006-2007 के दौरान अनुमोदित किया गया है और इसे केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के अंतर्गत परीक्षण एवं मूल्यांकन केन्द्र द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। राष्ट्रीय परीक्षण सेवा के उद्देश्य निम्नानुसार हैं :-
- शुरूआत में तीन भारतीय भाषाओं अर्थात हिन्दी, उर्दू और तमिल में परीक्षण और मूल्यांकन के मूल सिद्धांतों को शामिल करके भारतीय भाषाओं के लिए एक विस्तृत पैकेज का विकास
- पाठ्यक्रमों के स्तरों पर अंतर-भाषा तुलनीयता के लिए मानदण्ड और मानक तैयार करना;
- प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक, स्नातक, स्नातकोत्तर और अनुसंधान (टीओईएफएल और जीआरई की तरह) शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर कम से कम एक मुख्य भारतीय भाषा में मानकीकृत परीक्षणों का कम से कम एक सेट उपलब्ध कराना;
- शिक्षा के प्रत्येक स्तर में विभिन्न भाषाओं में श्रेणीबद्ध पाठ्यक्रमों को विकसित करने और व्यक्तित्व परीक्षण और अधिक वैज्ञानिक पद्धति में प्रवीणता प्राप्त करने के लिए शैक्षिक और वित्तीय सहायता देना;
- कम से कम एक मुख्य भारतीय भाषा में परीक्षण और मूल्यांकन के संबंध में शिक्षण मॉड्यूल विकसित करना;
- शिक्षकों, शिक्षुओं और विशेषीकृत कार्यबल को शामिल करके अपेक्षित डाटा एकत्रित करना और उसे प्रलेखबद्ध करना;
- विश्वविद्यालय पूर्व, स्नातक और स्नातकोत्तर स्तरों पर लगभग 2000 अलग-अलग व्यक्तियों को शामिल करके सुव्यवस्थित रूप से प्रशिक्षित जनशक्ति संसाधन के एक समूह का सृजन करना;
- राष्ट्रीय परीक्षण सेवा के तत्काल लाभार्थियों में राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग आदि एजेंसियां और राज्य स्तर पर ऐसी ही संस्थाएं, केन्द्रीय/राज्य शिक्षा बोर्ड, विश्वविद्यालय/कॉलेज/स्कूल, शिक्षक और भाषाओं के शिक्षु आदि शामिल होंगे।
भारतीय भाषाओं के लिए भाषाई आंकड़ा परिसंघ (एलडीसी-आईएल)
भारतीय भाषाओं के लिए भाषाई आंकड़ा परिसंघ (एलडीसी-आईएल), केन्द्रीय क्षेत्र की एक योजना, केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर द्वारा वित्त वर्ष 2007-08 से संचालित की जा रही है। एलडीसी-आईएल की पहल प्रमुख संस्थाओं जिनमें केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर, आईआईएससी-बंगलौर, आईआईटी-मुम्बई, आईआईटी-मद्रास तथा आईआईटी-हैदराबाद शामिल हैं, के एक परिसंघ द्वारा की गई है और इसके सदस्यों में सभी संस्थाओं और एजेंसियों के साथ ही साथ भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी में रूचि रखने वाले उद्योगों के लोग शामिल हैं।
भाषा परिसंघ का उद्देश्य भारतीय भाषाओं का वृह्त डाटाबेस सृजित और अनुरक्षित करना है; यह भारत और अन्य देशों में भाषा प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों, अनुवाद यंत्रों इत्यादि के लिए उत्पाद तैयार और मुद्रित करने जैसे कार्यों को करने वाले शोधकर्ताओं के लिए भी एक मंच उपलब्ध कराएगा। यह परिसंघ वृह्त स्तर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में मशीन पठित भाषायी डाटा में वृद्धि की आवश्यकता को पूरा करेगा। एलडीसी-आईएल का विचार अंशदान शुल्क लेकर आय अर्जित करते हुए परियोजना को आत्मनिर्भर बनाने का है। एलडीसी-आईएल विश्वभर में भारतीय भाषाओं के लिए भाषा प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों और राष्ट्रीय भाषा दक्षता में टीट एण्ड स्पीच कॉर्पोरा विकसित करने वाले शोधकर्ताओं और आयोजकों को मदद करता है।
राष्ट्रीय अनुवाद मिशन
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफारिशों के आधार पर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने, सभी अनुवाद कार्यकलापों, सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों रूपों में, जितनी संभव हो सकें उतनी भारतीय भाषाओं में, क्लीयरिंग हाऊस के रूप में कार्य करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अनुवाद मिशन की स्थापना की है ताकि विभिन्न स्तरों पर तथा विभिन्न कार्यकलापों में अनुदित सामग्री के प्रयोक्ताओं और जन साधारण तथा निजी एजेंसियों के मध्य सम्पर्क स्थापित किया जा सके; विशेषत: प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञान में सभी स्तरों पर (प्राथमिक स्तर से लेकर तृतीयक स्तरीय शिक्षा सहित) शैक्षणिक सामग्रियों के अनुवाद को प्राथमिकता दी जा सके; उच्च गुणवत्ता वाले अनुवाद के माध्यम से देश तथा विदेशों में भारतीय भाषाओं और साहित्यों को आगे लाया जा सके।
राष्ट्रीय अनुवाद मिशन का संचालन केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर द्वारा एक नोडल संगठन के रूप में, कार्यान्वित किया जा रहा है। दिनांक 27.10.2008 के आदेशों द्वारा सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुवाद मिशन की एक परियोजना अनुमोदन समिति (पीएसी) गठित की गई है। यह भारत सरकार को भाषाओं के अनुवाद संबंधी मामलों में सलाह देगी और सभी अनुवाद कार्यकलापों के लिए क्लीयरिंग हाऊस के रूप में कार्य करेगी। यह अनुदित सामग्री के प्रयोक्ताओं के मध्य एक सम्पर्क भी स्थापित करेगी। परियोजना अनुमोदन समिति में भाषाओं और अनुवाद का कार्य करने वाले विश्वविद्यालयों/विभागों से विशेषज्ञों, पुस्तक-विक्रेताओं और प्रकाशक संघ के प्रतिनिधियों, निजी संगठनों/कॉरपोरेट हाऊस इत्यादि से अनुवाद कार्य से जुड़े विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।
राष्ट्रीय अनुवाद मिशन की पीएसी की पहली बैठक नई दिल्ली में दिसम्बर, 2008 में आयोजित की गई जिसमें मुख्य ध्यान अनुदित किए जाने वाले विषय तथा जानकारी से संबंधित पाठों को प्राथमिकता देने पर दिया गया। इस संबंध में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है, हालांकि अनुवाद के लिए जानकारीमूलक 14 विषयों में पाठों का चयन किया गया है। राष्ट्रीय अनुवाद मिशन के लिए निर्धारित कार्यों को करने हेतु अनुवादकों के रूप में स्वयं को पंजीकृत करने के प्रयोजनार्थ इच्छुक व्यक्तियों हेतु सर्चेबल डाटाबेस तैयार किया गया तथा राष्ट्रीय अनुवाद मिशन की वेबसाइट के साथ समेकित किया गया। 2200 से अधिक अनुवादकों के प्रोफाइल को इस डाटाबेस में शामिल किया गया है।
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