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केन्‍द्रीय भारतीय भाषा संस्‍थान

केन्‍द्रीय भारतीय भाषा संस्‍थान, मैसूर जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक अधीनस्‍थ कार्यालय है, की स्‍थापना 1969 में की गई थी। इसकी स्‍थापना भारत सरकार की भाषा नीति को तैयार करने और इसके कार्यान्‍वयन में सहायता करने तथा भाषा विश्‍लेषण, भाषा शिक्षा शास्‍त्र, भाषा प्रौद्योगिकी और समाज में भाषा प्रयोग के क्षेत्रों में अनुसंधान के द्वारा भारतीय भाषाओं के विकास में समन्‍वय करने हेतु स्‍थापित की गई है। संस्‍थान बहुत सी विस्‍तृत योजनाओं के जरिए भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देता है। अपने उद्देश्‍यों को बढ़ावा देने के लिए केन्‍द्रीय भारतीय भाषा संस्‍थान बहुत से कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिनमें से कुछ निम्‍नानुसार हैं :

1. भारतीय भाषाओं का विकास

इस योजना का आशय आदिवासी/लघु/अल्‍पसंख्‍यक वर्ग की भाषाओं सहित आधुनिक भारतीय भाषाओं में अनुसंधान, मानव संसाधन के विकास और सामग्री के सृजन के द्वारा भारतीय भाषाओं का विकास करना है।

2. क्षेत्रीय भाषा केन्‍द्र (आरएलसी)

भुवनेश्‍वर, पुणे, मैसूर, पटियाला, गुवाहाटी, सोलन तथा लखनऊ में स्थित इसके क्षेत्रीय भाषा केन्‍द्र सरकार के त्रिभाषा सूत्र (फार्मूला) के कार्यान्‍वयन तथा शिक्षण सामग्री को तैयार करने के लिए कार्य करते हैं। क्षेत्रीय भाषा केन्‍द्र शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करते हैं जिनमें राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा प्रतिनियुक्‍त किए गए माध्‍यमिक स्‍कूल शिक्षकों को उनकी मातृभाषा से इतर अन्‍य भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाता है।

3. सहायता अनुदान योजना

सहायता अनुदान योजना के अंतर्गत केन्‍द्रीय भारतीय भाषा संस्‍थान अधिक मात्रा में खरीद, आदिवासी भाषाओं सहित भारतीय भाषाओं (हिन्‍दी, उर्दू, सिंधी, संस्‍कृत और अंग्रेजी को छोड़कर) में पाण्‍डुलिपियों और छोटी पत्रिकाओं के प्रकाशन में सहायता करके अलग-अलग व्‍यक्तियों और स्‍वयं सेवी संगठनों को वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध कराता है।

4. राष्‍ट्रीय परीक्षण सेवा

राष्‍ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफारिशों पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय अनुवाद मिशन की स्‍थापना की है जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य सभी अनुवाद कार्यकलापों, सैद्धांतिक और व्‍यावहारिक दोनों रूपों में, जितना संभव हो सके उतनी अधिक भारतीय भाषाओं में क्‍लीयरिंग हाऊस के तौर पर कार्य करना है। इसके अतिरिक्‍त, मिशन विभिन्‍न स्‍तरों पर विभिन्‍न कार्यकलापों में अनूदित सामग्री के प्रयोक्‍ताओं और जन साधारण तथा निजी एजेंसियों के मध्‍य सम्‍पर्क भी स्‍थापित करता है।

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