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सिंहावलोकन
भाषा सम्प्रेषण और शिक्षा का महत्वपूर्ण माध्यम होने के नाते इसके विकास का राष्ट्रीय शिक्षा नीति और कार्यान्वयन कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण स्थान है। अत: संस्कृत और उर्दू सहित हिन्दी और संविधान की 8वीं अनुसूची में सूचीबद्ध अन्य 21 भाषाओं पर अपेक्षित ध्यान दिया गया है। संवैधानिक उत्तरदायित्व को पूरा करने में उच्चतर शिक्षा विभाग को स्वायत्त संगठन और अधीनस्थ कार्यालय मदद करते हैं।
भाषा नीति
भाषाओं का प्रशासन, शिक्षा, न्यायालय, विधानपालिका, पत्रकारिता आदि के प्रयोग संबंधी भारत की भाषा नीति का विस्तार बहुलवादी है। यह भाषा-विकासोन्मुखी और भाषा-अस्तित्व उन्मुखी दोनों है। नीति का आश्य नागरिकों को एक नियमित प्रक्रिया के माध्यम से कतिपय निरूपित स्तरों और क्षेत्रों में अपनी मातृभाषा के प्रयोग के लिए उत्साहित करना है, परन्तु नीति का घोषित लक्ष्य सभी भाषाओं को, उनकी प्रकृति या मुख्य गौण या जनजातीय भाषाओं जैसे दर्जे पर ध्यान दिए बिना, उनके निर्धारित क्षेत्र में एक बोल-चाल का सही साधन बनाने के लिए निरंतर विकसित होने वाली है। भारत सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भाषा ब्यूरो का प्रमुख प्रयास भाषा नीति के कार्यान्वयन का विकास और निगरानी करना है। यह कार्य ब्यूरो द्वारा उसके तत्वाधान में स्थापित भाषा संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। ये संस्थाएं हैं:- केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली केन्द्र, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन संस्थान, राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (आरएसकेएस), महर्षि संदीपणि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एमएसआरवीवीपी), केन्द्रीय अंग्रेजी भाषा और विदेशी भाषा संस्थान।
भारतीय भाषाएं
1961 की जनगणना के अनुसार वर्तमान भारत में 1652 से भी अधिक मातृ भाषाएं हैं जो मूलरूप से 5 विभिन्न भाषायी परिवारों से संबंध रखती है। 1991 की जनगणना में 10,400 मातृ भाषाओं के अपरिष्कृत आंकड़े सामने आए उन्हें 1576 मातृ भाषाओं में समायोजित किया गया। उन्हें उससे आगे 216 मातृ भाषाओं में तार्किक आधार पर उचित ठहराया और उन्हें 114 भाषाओं के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया। जो इस प्रकार हैं:- अस्ट्रो-एशियाटिक (1.13% की कुल जनसंख्या वाली 14 भाषाएं) द्राविड़यन (22.53% की कुल जनसंख्या वाली 17 भाषाएं) इंडो-यूरोपियन (75.28% की कुल जनसंख्या के साथ 19 इंडो-आर्यन भाषाएं) और जर्मनिक, 0.02% की कुल जनसंख्या वाली एक भाषा) सेमितो-हार्मिटिक (0.01% जनसंख्या वाली एक भाषा) और तिब्बतो-बर्मन (0.97% की कुल जनसंख्या वाली 62 भाषाएं) यहां यह नोट किया जाए कि पूरे भारत में 10,000 से कम जनसंख्या वाली मातृभाषाओं की उपलब्ध ‘अन्य’ भाषायी सूचनाओं के आधार पर पहचान करना संभव नहीं है।
122 अनुसूचित और गैर-अनुसूचित भाषाओं का परिवार-वार वर्गीकरण – 2001
भाषा परिवार | भाषाओं की संख्या | मातृभाषा के रूप में अपनाने वाले लोगों की संख्या | कुल जनसंख्या का प्रतिशत |
1. इंडो-यूरोपियन | |||
(a) इंडो-आर्यन | 21 | 790,627,060 | 76.87 |
(b) ईरानियन | 2 | 22,774 | 00.00 |
(c) जर्मनिक | 1 | 226,449 | 00.02 |
2. द्राविड़यन | 17 | 214,172,874 | 20.82 |
3. अस्ट्रो़-एशियाटिक | 14 | 11,442,029 | 01.11 |
4. तिब्बतो-बर्मीज | 66 | 10,305,026 | 01.00 |
5. सेमितो-हेमेटिक | 1 | 51,728 | 00.01 |
कुल | 122 | 1,026,847,940* | 99.83* |
* भारत की कुल 1,026,847,940 की कुल जनसंख्या में से शेष 1,762,388 (0.17%) अनुसूचित और गैर-अनुसूचित भाषाओं से अलग भाषा बोलने हैं। कुल जनसंख्या में मणिपुर के सेनापति जिले के पायोमता, माओमरम और पुरूल तहसील के आंकड़े सम्मिलित नहीं हैं। उपर्युक्त 05 भाषा परिवारों में आने वाली 122 अनुसूचित और गैर-अनुसूचित भाषाओं को नीचे दिया गया है, 22 अनुसूचित भाषाओं के आगे (एस) जोड़ा गया है, 15 भाषाएं भारोपीय परिवार की इंडो-आर्यन शाखा में आती हैं, 01 भाषा अस्ट्रो-एशियाटिक परिवार, 04 द्रविड़यन परिवार और 02 तिब्बतो-बर्मीज परिवार
1. भारोपीय परिवार
(क) इंडो-आर्यन
1. असमिया (एस), 2. बंगाली (एस), 3. भिली/भिलोड़ी, 4. बिष्णुसप्रिया, 5. डोगरी, 6. गुजराती (एस), 7. हलाबी, 8. हिन्दी (एस), 9. कश्मी्री (एस), 10. खानदेशी, 11. कोंकणी (एस), 12. लंहदा, 13. मैथिली (एस), 14. मराठी (एस), 15. नेपाली (एस), 16. ओडि़या (एस), 17. पंजाबी (एस), 18. संस्कृीत (एस), 19. शिना, 20 सिंघी (एस), 21. उर्दू (एस)
(ख) ईरानियन
1. अफगानी/काबूली/पस्तोल/पारसी
(ग) जर्मनिक
2. द्रावडि़यन
1. कोटाई/कोडागु, 2. गोंडी, 3. जतापु, 4. कन्नड़ (एस), 5. खोंड/खोंध, 6. किसान, 7. कोलामी, 8. कोंडा, 9. कोया, 10. कुई, 11. कुरूखागांव, 12. मलयालम (एस), 13. माल्तो , 14. पारजी, 15. तमिल (एस), 16. तेलुगु, 17. तुलु
3. अस्ट्रो़-एशियाटिक
1. भूमिज, 2. गदाबा, 3. हो, 4. ज्वांसग, 5. खडि़या, 6. खासी, 7. कोडा/कोरा, 8. कोटकु, 9. कोर्वा, 10 मुंडा, 11. मुंडारी, 12. निकोबरेजी, 13. संताली, (एस) 14. सवारा
4. तिब्बातो-बर्मीज
1. अदी, 2. अनल, 3. अंगामी, 4. ओ, 5. बाल्तीग, 6. भोतिया, 7. बोडो (एस), 8. चाकेसंग, 9. चाकरू/चोकरी, 10. चांग, 11. दिओरी, 12. दिमासा, 13. गंगते, 14. गारो, 15. हलाम, 16. हम्मर, 17. काबुई, 18. कारबी/मिकिर, 19. खेझा, 20. खियम्नुघनगन, 21. किन्नौकरी, 22. कोच, 23. कोम, 24. कोन्यागक, 25. कुकी, 26. लद्दाखी, 27. लाहौली, 28. लखेट, 29. लालुंग, 30. लेप्चा , 31. लियांगमेई, 32. लिम्बूक, 33. लोथा, 34. लुसाई/मिजो, 35. मणिपुरी(एस), 36. मरम, 37. मरिंग, 38. मिरि/मिसिंग, 39. मिशमी, 40. मोघ, 41. मोन्पाग, 42. निस्सीे/उफला, 43. नोक्तेक, 44. पैते, 45. पवी, 46. फोम, 47. पोचुरी, 48. राभा, 49. राई, 50. रेंगमा, 51. संगतम, 52. सेमा, 53. शेरपा, 54. सिम्तेक, 55. त्मांोग, 56. तंगखुल, 57. तंग्सात, 58. थाडो, 59. तिब्ब तन, 60. त्रिपुरी, 61. वैफेई, 62. वांचो, 63. यिम्चुं्गरे, 64. जेलियांग, 65. जेमी, 66. जोऊ।
5. सेमितो-हेमिटिक
1. अरबिक/अरबी इंडो-आर्यन भाषाएं अधिकतम लोगों द्वारा बोली जाती हैं घटते क्रम में द्राविड़यन, अस्ट्रोड-एशियाटिक और सिनो-तिब्बतन (तिब्बतो-बर्मन) भाषाएं।
22 भारतीय भाषाएं
असमी, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिन्दी, कश्मीरी, कन्नड, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडि़या, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। इनमें से संस्कृत और तमिल को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया गया है। भारतीय बहुभाषायी बहुत से संदर्भों में अद्वितीय है – यह प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ है और स्कूलों के माध्यम से बहुभाषायी के साथ जुड़ा हुआ है।
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली में उप-कुलपति पद के लिए प्राप्त उम्मीदवार का नाम