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अन्य केन्द्रीय संस्थान
भारतीय खनन स्कूल विश्वविद्यालय (आईएसएमयू), धनबाद
भारतीय खनन स्कूल विश्वविद्यालय वर्ष 1926 में खनन और सहायक क्षेत्रों में निर्देश और अनुसंधान प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया। 1967 में भारतीय खनन स्कूल विश्वविद्यालय को सम विश्वविद्यालय के दर्जे के साथ स्वायत्त संस्थान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। विश्वविद्यालय बी.टेक, 5 वर्षीय दोहरी डिग्री कार्यक्रम; एकीकृत एम.एससी, एकीकृत एम.एससी (प्रौद्योगिकी), एम.एससी प्रौद्योगिकी, एम.एससी, प्रबंध पाठ्यक्रम और एम.टेक/एम.फिल कार्यक्रम।
भारतीय खनन स्कूल विश्वविद्यालय खनन, खनिज और तेल उद्योगों की आवश्यकताओं का पूरा करने के लिए कार्यकारी विकास कार्यक्रम भी प्रदान करता है।
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योजना तथा वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), नई दिल्ली
इस स्कूल की स्थापना ग्रामीण योजना, शहरी योजना और मानव स्थापना के क्षेत्रों में शिक्षा और प्रशिक्षण में सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा 1955 में शहर और देश योजना स्कूल के नाम से स्थापित किया गया था। इस स्कूल का योजना तथा वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), नई दिल्ली के रूप में 1959 में पुन: नामकरण किया गया। बाद में, वास्तुकला विभाग को इसमें शामिल किया गया। स्कूल को 1979 में सम विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, मानव गृह और पर्यावरण के विभिन्न अवधारणाओं की वास्तुकला, योजना, डिजाइन और प्रबंध के क्षेत्रों में अवर स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
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योजना तथा वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), भोपाल
योजना तथा वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), भोपाल 2008 में स्थापित किया गया। स्कूल वैश्विक मापदंडों के वास्तविक और सामाजिक पर्यावरण विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए राष्ट्र के उत्कृष्ट वास्तुकारों और योजनाकारों के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। इसको ‘कल्पना के विश्वविद्यालय’ के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां सभी स्टेकहोल्डर-विद्यार्थियों, अनुसंधानकर्ताओं, प्रोफेसरों और समाज के बीच जांच की भावना महत्वपूर्ण होगी। योजना तथा वास्तुकला विद्यालय वास्तुकला, योजना और डिजाइन के विषय के माध्यम से रूपातंरण और पर्यावरण जीवन आधार के माध्यम से वैश्विक डिजाइन, संस्कृति जीवन आधार के द्वारा सामाजिक जीवन आधार के लिए प्रयास करेगा।
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योजना तथा वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), विजयवाड़ा
योजना तथा वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), विजयवाड़ा 2008 में योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, नई दिल्ली के परिसर में अस्थाई रूप से स्थापित किया गया था। इसका लक्ष्य वास्तुकला और योजना में शिक्षा प्रदान करना है जबकि यह अन्य क्षेत्रों में उच्च स्तर का अनुसंधान भी प्रदान कर रहा है।
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संत लौंगेवालन इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (एसएलआईईटी), लौंगेवाला, पंजाब
यह संस्थान स्वर्गीय संत हरीचन्द सिंह जी लौंगेवाल की याद में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से 1989 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। संत लौंगेवालन इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान विभिन्न विषयों में प्रमाणपत्र, डिग्री, डिप्लोमा और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करता है। वर्ष 2007-2008 में संस्थान को सम विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया।
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भारतीय औद्योगिकी इंजीनियरिंग संस्थान (एनआईटीआईई), मुंबई
भारतीय औद्योगिकी इंजीनियरिंग संस्थान (एनआईटीआईई), मुंबई अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा 1963 में स्थापित एक राष्ट्रीय संस्थान है। यह संस्थान भारत सरकार द्वारा पूर्णत: वित्तपोषित संस्थान है और समिति पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है। भारतीय औद्योगिकी इंजीनियरिंग संस्थान एक स्वायत्त निकाय है जो सरकारी, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र से विख्यात व्यक्तियों के शासी बोर्ड द्वारा अभिशासित होता है। भारतीय औद्योगिकी इंजीनियरिंग संस्थान उद्योग और व्यवसाय की जटिल समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर रहा है।
भारतीय औद्योगिकी इंजीनियरिंग संस्थान (एनआईटीआईई), मुंबई सरकारी, सार्वजनिक और निजी सेक्टरों के संगठनों से लिए गए वरिष्ठ और माध्यम दर्जे के अधिकारियों के लाभ के लिए उत्पादकता, विज्ञान और प्रबंध में प्रबंध विकास कार्यक्रम और स्नातकोत्तर डिप्लोमा आयोजित करता है। यह औद्योगिक इंजीनियरिंग और प्रबंध में पी.एचडी और समकक्ष अध्येता कार्यक्रम भी आयोजित करता है। संस्थान औद्योगिक इंजीनियरिंग और ऊर्जा, सुरक्षा, पर्यावरण, विपणन, सूचना प्रौद्योगिकी, व्यवहार विज्ञान आदि के विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयुक्त अनुसंधान भी आयोजित करता है। संस्थान ईकाइ आधारित कार्यक्रम (यूबीपी) भी आयोजित करता है जो संस्थान की अनुमति या संस्थान में उद्योगों की आवश्यकता के लिए आयोजित किया जाता है।
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पूर्वोत्तर क्षेत्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (एनईआरआईएसटी), ईटानगर
यह संस्थान पूर्वोत्तर क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 1985 में स्थापित किया गया। इसे वर्ष 2005 में सम विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया और संस्थान ने दिसम्बर, 2005 से सम विश्वविद्यालय के रूप में कार्य करना प्रारंभ कर दिया। यह प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, डिग्री पाठ्यक्रम और स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान करता है। ये पाठ्यक्रम मॉड्यूलर पैटर्न के है जिसमें बहु-प्रवेश और निकास प्रणाली है।
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केन्द्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कोकराझार (असम)
भारत सरकार, असम सरकार और बीएलटी के बीच दिनांक 10 फरवरी, 2003 को किए गए समझौता ज्ञापन के अनुसार मंत्रिमंडल के अनुमोदन से वर्ष 2006 में एक केन्द्री3य प्रौद्योगिकी संस्थासन कोकराझार, असम में स्था2पित किया गया। यह संस्था न मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत मूलत: वित्तसपोषित स्वा6यत्तक संगठन है। तथापि, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) जो विधिवत रूप से चयनित निकाय है को सीआईटी परियोजना के निरीक्षण की पूरी जिम्मे)दारी दी गई है। वर्तमान में सीआईटी विभिन्नप पाठ्यक्रमों में डिप्लोसमा कार्यक्रम प्रदान कर रहा हैं।
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राष्ट्रीय ढलाई और गढ़ाई प्रौद्योगिकी संस्थाकन (एनआईएफएफटी), रांची
राष्ट्रीय ढलाई और गढ़ाई प्रौद्योगिकी संस्थाीन (एनआईएफएफटी), रांची देश में मुख्य क्षेत्र के विकास में ढलाई और गढ़ाई उद्योगों की मुख्य भूमिका का संज्ञान लेने के लिए यूनेस्को -यूएनडीपी के सहयोग से 1966 में स्थालपित किया गया। राष्ट्री य ढलाई और गढ़ाई प्रौद्योगिकी संस्थाईन एक स्वाीयत्ता निकाय है जो भारत सरकार द्वारा पूर्णत: वित्त पोषित है और समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत समिति है। संस्थादन का मिशन उद्योगों के कार्यों और प्रबंधन के लिए व्यंक्तियों को विशेषज्ञता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। संस्थांन ढलाई और गढ़ाई प्रौद्योगिकी और निर्माण इंजीनियरिंग में एम.टेक पाठ्यक्रम; निर्माण इंजीनियंरिग और मैटरलर्जी और मैटिरियल इंजीनियरिंग में बी.टेक पाठ्यक्रम; ढलाई और गढ़ाई प्राद्योगिकी में उच्चञ डिप्लोयमा पाठ्यक्रम; उद्योगों, अनुसंधान और विकास संगठनों और संस्थाउओं के अनुरोध पर अल्पमकालीन यूनिट आधारित कार्यक्रम और उद्योगों द्वारा प्रायोजित भागीदारों के लिए विशिष्टी क्षेत्रों में अल्प कालीन रिफ्रेशर कार्यक्रम चलाता है।
यह संस्थािन व्ययवहार्यता रिपोर्ट को तैयार करने; उपकरणों और मशीनरी के मूल्यां कन; कच्चेा माल और गुणवत्ताि निर्धारण उत्पा दों की टेस्टिंग में उद्योगों को परामर्शी सेवा प्रदान करता है।
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एशियन प्रौद्योगिकी संस्थान(एआईटी), बैंकाक
एशियन प्रौद्योगिकी संस्थान (एआईटी), बैंकाक को एसईएटीओ सदस्य राज्यों की उच्च तकनीकी शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एसईएटीओ स्नातक इंजीनियरिंग स्कूल के रूप में 1959 में स्थापित किया गया। 1967 में एसईएटीओ ने अपना नियंत्रण हटा दिया और संस्थान का पुन: नामकरण अर्थात एशियन प्रौद्योगिकी संस्थान (एआईटी), किया गया और यह अंतरराष्ट्रीय न्यास बोर्ड को समर्पित प्रबंध के साथ एक स्वायत्त संस्थान बन गया। वर्तमान में बैंकाक में भारत के राजदूत एआईटी, बैंकाक के न्यास बोर्ड के सदस्य है।
एशियन प्रौद्योगिकी संस्थान (एआईटी), बैंकाक एक स्वायत्त स्नातकोत्तर संस्थान है जो स्वायत्त अंतरराष्ट्रीय स्नातकोत्तर संस्थान है जो इंजीनियरिंग विज्ञान और सहायक क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। एशियन प्रौद्योगिकी संस्थान के शैक्षिक वर्ष जनवरी और अगस्त में प्रारंभ होते हैं। भारत सरकार प्रत्येक वर्ष विशेषज्ञता के चयनित क्षेत्र में 16 हफ्ते की अवधि के लिए भारतीय संकाय की अन्यत्र अस्थायी विशेष नियुक्ति द्वारा एशियन प्रौद्योगिकी संस्थान को सहायता प्रदान करती है और प्रत्येक वर्ष दूसरे संकाय को 33 लाख रू. की प्रतिपूर्ति करती है। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार प्रत्येक वर्ष भारतीय उपकरण, किताबें और पत्रिकाएं खरीदने के लिए एशियन प्रौद्योगिकी संस्थान को 3 लाख रू. प्रदान करती है।
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कोलंबो प्लेन स्टाफ तकनीकी शिक्षा कॉलेज (सीपीएससी), मनीला
कोलंबो प्लेन स्टाफ कॉलेज एशिया पैसेफिक में एक तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण युक्त सुधार से संबंधित मामलों को देखने वाले एकमात्र क्षेत्रीय संस्थान के रूप में एक अनोखा संगठन है। स्टाफ कॉलेज का उद्देश्य तकनीकी शिक्षा में तकनीकी अध्यापक प्रशिक्षक और प्रशिक्षकों और वरिष्ठ कर्मचारियों की आवश्यकता को पूरा करके कोलंबो प्लेन क्षेत्र में गुणवत्तायुक्त तकनीकी शिक्षा में सुधार करना है जो सेवाकालीन प्रशिक्षण और कर्मचारी विकास कार्यक्रम में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
क्षेत्रीय कार्यक्रमों के अतिरिक्त, सीटीएससी, मनीला द्वारा सहयोगी क्षेत्रीय कार्यक्रम और देश के अंदर चलाए जा रहे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
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