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राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए), नई दिल्ली

राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) की स्थापना वर्ष 1994 में एआईसीटीई अधिनियम की धारा 10 (प) के तहत इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, फार्मेसी और वास्तुकला आदि में डिप्लोमा से स्नातकोत्तर स्तर तक तकनीकी संस्थानों द्वारा पेश किए गए कार्यक्रमों की गुणात्मक क्षमता का आकलन करने के लिए की गई थी। एनबीए कार्यक्रमों को मान्यता देता है न कि संस्थानों को। एनबीए वर्ष 2010 में, कार्यक्रमों की मान्यता के माध्यम से तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता के आश्वासन के उद्देश्य से स्वायत्त हो गया था। वर्ष 2013 में, संगम ज्ञापन (एमओए) और एनबीए के नियमों में संशोधन करके इसे प्रशासनिक और आर्थिक रूप से पूरी तरह से स्वतंत्र बनाया गया।

प्रत्यायन गुणवत्ता आश्वासन और सुधार की एक प्रक्रिया है, जिससे एक कार्यक्रम का सत्यापन करने के लिए सूक्ष्म रूप से मूल्यांकन किया जाता है कि कार्यक्रम समय-समय पर नियामक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानदंडों और मानकों को पूरा करता है और/या उससे अधिक है।

एनबीए संस्थानों को मान्यता नहीं देता है, इसके बजाय, यह तकनीकी/पेशेवर संस्थानों जिन्होंने कम से कम दो बैचों को स्नातक किया है, द्वारा पेश किए जाने वाले कार्यक्रमों को मान्यता देता है। कैलेंडर वर्ष 2022 के दौरान, 2192 कार्यक्रमों को मान्यता देने पर विचार किया गया, जिनमें से 2016 कार्यक्रमों को मान्यता दी गई और शेष 176 कार्यक्रमों को मान्यता नहीं दी गई।

भारत रैंकिंग

शिक्षा मंत्रालय द्वारा 2015 में विकसित एनआईआरएफ, विभिन्न श्रेणियों और विषय डोमेन में देश भर के संस्थानों को रैंक करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा और कार्यप्रणाली की रूपरेखा तैयार करता है। इस फ्रेमवर्क ने पांच व्यापक सामान्य मानकों की पहचान की, अर्थात् i) शिक्षण, अधिगम और संसाधन; ii) अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास; iii) स्नातक परिणाम; iv) आउटरीच और समावेशिता; और v) धारणा। इसने पाँच व्यापक मापदंडों में से प्रत्येक के तहत कई उप-पैरामीटर की पहचान की और प्रत्येक उप-पैरामीटर के तहत प्रदर्शन स्कोर को उपयुक्त रूप से मापने के लिए आवश्यक डेटा और एक उपयुक्त मीट्रिक और वेटेज का उपयोग किया, जिसका उपयोग प्रत्येक उप-पैरामीटर के स्कोर की गणना करने के लिए किया जाता है। उप-पैरामीटर स्कोर तब प्रत्येक व्यक्तिगत पैरामीटर के लिए स्कोर प्राप्त करने के लिए जोड़े जाते हैं। समग्र स्कोर की गणना मापदंडों के पांच व्यापक समूह में से प्रत्येक को आवंटित भार के आधार पर की जाती है।

भारत रैंकिंग का पहला और अभिनव संस्करण 2016 में चार श्रेणियों/विषय डोमेन में जारी किया गया था। इसके बाद, एनआईआरएफ का उपयोग करते हुए वर्ष 2017 से 2022 के लिए भारत रैंकिंग के छह वार्षिक संस्करण जारी किए गए। बाद के वर्षों में प्रारंभिक चार श्रेणियों/विषय डोमेन में सात श्रेणियां/विषय डोमेन जोड़े गए ताकि कुल टैली को 11 श्रेणियों/विषय डोमेन तक ले जाया जा सके।

राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) का उपयोग करते हुए भारत रैंकिंग 2022 को जुलाई 2022 में चार श्रेणियों अर्थात् समग्र, विश्वविद्यालय, कॉलेज और अनुसंधान संस्थान और सात विषय डोमेन, अर्थात् इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मेसी, चिकित्सा, वास्तुकला, कानून और दंत चिकित्सा में जारी किया गया था।

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