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बाह्य – सहायता प्राप्‍त परियोजनाएं

तकनीकी शिक्षा गुणवत्‍ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्‍यूआईपी)

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिसंबर, 2002 में भारत सरकार का तकनीकी शिक्षा गुणवत्‍ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्‍यूआईपी) कार्यक्रम प्रारंभ किया जिसक लक्ष्‍य राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर तीव्र आर्थिक और प्रौद्योगिकी विकास के लिए गतिशील, मांग आधारित, गुणवत्‍ता-सजग, सक्षम और विकासशील बनने के लिए संस्‍थाओं की वर्तमान क्षमताओं का विकास करने और तकनीकी शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार करने में किए जा रहे प्रयासों को बढ़ाना है। यह कार्यक्रम देश में तकनीकी शिक्षा में उत्‍कृष्‍टता और बदलाव को सहायता प्रदान करने के लिए तीन चरणों में 10-12 वर्षों में कार्यान्वित किया जाने वाले एक दीर्घकालीन परियोजना के रूप में धारण और डिजाइन किया गया था।

टीईक्‍यूआईपी चरण– I

टीईक्‍यूआईपी चरण– I 1389 करोड़ रू. की कुल लागत के साथ एक केन्‍द्रीय समन्वित केन्‍द्रीय और राज्‍य सेक्‍टर परियोजना के रूप में विश्‍व बैंक की सहायता से कार्यान्वित किया गया था। इसमें से 306 करोड़ रू. केन्‍द्रीय भाग था और शेष 1033 करोड़ रू. राज्‍य का भाग था। यह कार्यक्रम मार्च, 2003 से प्रारंभ किया गया और 31 मार्च 2009 को बंद कर दिया गया। टीईक्‍यूआईपी में 127 संस्‍थाओं ने भाग लिया जिसमें से 18 पूर्णत: केन्‍द्र से वित्‍तपोषित संस्‍थान थे और 109 राज्‍य संस्‍थान थे। राज्‍य संस्‍थान 13 राज्‍यों नामत: आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु, उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड और पश्चिम बंगाल से थे। 18 केन्‍द्रीय संस्‍थाओं में 17 एनआईटी और एनआईएफएफटी थे।

टीईक्‍यूआईपी चरण-। के लिए केन्‍द्र द्वारा संचयी व्‍यय 132.80 करोड़ रू. था जो कुल प्रक्षेपित आवंटन का 99 प्रतिशत है।

टीईक्‍यूआईपी - II

टीईक्‍यूआईपी चरण-। के दौरान हुई उपलब्धियों के आधार पर टीईक्‍यूआईपी चरण-।। को 2430 करोड़ रू. की कुल लागत पर विश्‍व बैंक की सहायता से केन्‍द्रीय प्रायोजित योजना के रूप में कार्यान्वित किया गया जिसमें केन्‍द्र का अंशदान 1895.50 करोड़ रू. होगा जिसमें से विश्‍व बैंक को 1395.50 करोड़ रू. प्रतिपूर्ति करनी होगी। राज्‍य का भाग 518.50 करोड़ रू. होगा और निजी गैर सहायता प्राप्‍त संस्‍थाओं का भाग 16 करोड़ रू. होगा। केन्‍द्र और राज्‍य के बीच निधियन पैटर्न 75:25 होगा तथा पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के बीच निधियन पैटर्न 90:10 होगा। टीईक्‍यूआईपी चरण-।। परियोजना 4 वर्षों की है जिसमें प्रतियोगिता आधारित निधियन के आधार पर 200 संस्‍थाओं को कवर किया जाएगा। यह कार्यक्रम वर्ष 2010-11 से कार्यान्वित किया जाएगा।

तकनीकी शिक्षा परियोजना – III

तकनीकी शिक्षा– I के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद पॉलीटेक्निकों के उन्‍नयन के लिए विश्‍व बैंक की सहायता से देश में तकनीकी शिक्षा-II परियोजना प्रारंभ की गई। सरकार ने विश्‍व बैंक की सहायता से अन्‍य योजना नामत: तकनीकी शिक्षा-III प्रारंभ की और परियोजना को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरूणाचल प्रदेश, जम्‍मू एवं कश्‍मीर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में विकासशील पॉलीटेक्निकों के लिए लागू किया गया है। परियोजना का लक्ष्‍य क्षमता का विस्‍तार, गुणवत्‍ता में वृद्धि और क्षमता सुधार करना है। परियोजना जनवरी, 2001 में प्रारंभ हुई और जून, 2007 में समाप्‍त हुई।

इस परियोजना में 21 पॉलीटेक्निक शामिल किए गए जिसमें अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा से एक और मेघालय, सिक्किम और जम्‍मू कश्‍मीर से 2 अर्थात 9 नए पॉलीटेक्निक स्‍थापित किए गए। वर्तमान 12 पॉलीटेक्निक अंडमान और निकोबार (2), जम्‍मू और कश्‍मीर (4), मेघालय (1), मिजोरम (2), नागालैंड (2) और त्रिपुरा (1) से थे। सभी परियोजनाओं का उद्देश्‍य नई पॉलीटेक्निक स्‍थापित करना, नए कार्यक्रम शुरू करना, महिला और लाभवंचित समूहों की नामांकन दर को बढ़ाना है। वर्तमान प्रयोगशाला और कार्यशालाओं का आधुनिकीकरण किया गया और नई कार्यशालाएं और प्रयोगशालाएं स्‍थापित की गई। सभी पॉलीटेक्निकों में इंटरनेट सुविधाओं के साथ कंप्‍यूटर सेंटर स्‍थापित किए गए। परियोजना के कार्यान्‍वयन के दौरान आंतरिक राजस्‍व बढ़ाने, संकाय और कर्मचारी के विकास और भर्ती को प्रोत्‍साहित किया गया। स्थिति कठिनाईयों के बावजूद भी अधिकांश संस्‍थाओं ने आईएसओ 9001-2000 प्रमाणपत्र प्राप्‍त किए। पॉलीटेक्निक में गैर मान्‍यता प्राप्‍त सेक्‍टर को वर्तमान संसाधनों को प्रयोग करते हुए प्रशिक्षण और कौशल प्रदान किया गया जिसमें तकनीकी व्‍यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीवीई और टी) आयोजित किया गया।