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भारतीय राष्‍ट्रीय यूनेस्‍को सहकारिता आयोग (आईएनसीसीयू)

स्‍थापना

भारत, संयुक्‍त राष्‍ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक, सांस्‍कृतिक संगठन का सदस्‍य है संयुक्‍त राष्‍ट्र की सन् 1946 में स्‍थापना से ही एक विशिष्‍ट एजेंसी है। यूनेस्‍को के संविधान के अनुच्‍छेद VII में उपबंध किए गए हैं कि ‘प्रत्‍येक सदस्‍य देश ऐसी व्‍यवस्‍था करे जो उसके लिए अनुकूल हो और इसके प्रमुख निकायों से सहयोजित प्रयोजनों होने के संगठन के कार्य के साथ शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्‍कृतिक मामलों में रूचि रखते हों, अधिमान्‍यता राष्‍ट्रीय आयोग स्‍थापित करने द्वारा जो ऐसे निकायों की सरकार का स्‍पष्‍ट रूप से प्रतिनिधि हो’ और आगे परिभाषित किया जाता है कि ‘राष्‍ट्रीय आयोग या प्रधान सम्‍मेलन और उनकी सरकारों के संगठन से संबंधित मामलों में राष्‍ट्रीय सहयोगी प्रतिनिधि और उसके हित के सभी मामलों में सम्‍पर्क एजेंसियों के रूप में कार्य करेगा। यूनेस्‍को, यूएन केवल मात्र एक निकाय है जिसने अपने साथ सम्‍पर्क के लिए अपने सदस्‍य देशों को राष्‍ट्रीय आयोगों की स्‍थापना करने के लिए प्रोत्‍साहित किया है। तदनुसार, यूनेस्‍को के साथ सहयोग के लिए भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय द्वारा संकल्‍प संख्‍या एफ 84-92/48-ए-1 दिनांक 26 मार्च, 1949 के तहत अंतरिम भारतीय राष्‍ट्रीय सहकारी आयोग की 1949 स्‍थापना की गई। भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय के संकल्‍प संख्‍या एफ 134-27/50-ए-5 दिनांक 16 अक्‍टूबर, 1951 के माध्‍यम से सन् 1951 में स्‍थायी आयोग की स्‍थापना की गई।

आयोग के कार्य निम्‍नलिखित होंगे:

  • भारत गणतंत्र के लोगों में यूनेस्‍कों के उद्देश्‍यों और प्रयोजनों को समझने में बढ़ावा देना;
  • शिक्षा, विज्ञान और संस्‍कृति की वृद्धि के लिए भारत सरकार और संबंधित संस्‍थाओं के कार्यो के बीच सम्‍पर्क अभिकरण के रूप में कार्य करना;
  • यूनेस्‍को की क्षमता के भीतर सरकार के विभागों तथा सेवाओं, संगठनों और संबंधित संस्‍थाओं के साथ सहयोग करना;
  • यूनेस्‍को के कार्यक्रमों को तैयार और निष्‍पादित करने में राष्‍ट्रीय, सरकारी और गैर-सरकारी संस्‍थाओं तथा विभिन्‍न व्‍यक्तियों की भागीदारी को प्रोत्‍साहित करना ताकि यूनेस्‍को के लिए बौद्धिक, वैज्ञानिक, कलात्‍मक या प्रशासनिक सहायता, जिसकी उसे अपेक्षा हो, सुनिश्चित की जा सके।
  • राष्‍ट्रीय एशिया और पैसिफिक आयोगों तथा यूनेस्‍को के क्षेत्रीय कार्यालयों और केन्‍द्रों में क्षेत्रीय, उप-क्षेत्रीय और शिक्षा, विज्ञानों, संस्‍कृति और सूचना में द्विपक्षीय सहयोग को, खासतौर से संयुक्‍त प्रयासों और कार्यक्रमों के निष्‍पादन के माध्‍यम से बढ़ावा देना;
  • यूनेस्‍को के उद्देश्‍यों, कार्यक्रमों और कार्यकलापों के बारे में सूचना का विस्‍तार तथा उनमें जनता की रूचि को जगाने का प्रयास करना; तथा
  • यूनेस्‍को से संबंधित मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना।

पदधारी:

  • मानव संसाधन विकास मंत्री आयोग के अध्‍यक्ष होंगे वह आयोग की बैठकों की अध्‍यक्षता करेंगे, अध्‍यक्ष की अनुस्थिति में उपस्थित सदस्‍यों में से एक सदस्‍य को आयोग प्रत्‍येक बैठक की अध्‍यक्षता करने के लिए चुन सकता है;
  • सचिव, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच्‍चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार आयोग के महासचिव होंगे और आयोग के कार्य के समग्र रूप से प्रभारी होंगें;
  • उच्‍चतर शिक्षा विभाग में संयुक्‍त राष्‍ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्‍कृतिक संगठन (यूनेस्‍को) से संबंधित कार्रवाई करने वाले संयुक्‍त सचिव, आयोग के उप महासचिव होंगे और महासचिव की अनुस्थिति में आयोग के कार्य के समग्र रूप से प्रभारी होंगे;
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी को आयोग के सचिव के रूप में नामित किया जाएगा। सचिव आयोग की बैठकों की कार्यसूची तैयार करेगा और आयोग के कार्यो से संबंधित दिन-प्रतिदिन के कार्यो को करेगा।

सदस्‍यता:

  • आयोग की सदस्‍यता में उप आयोगों नामत: (i) शिक्षा; (ii) प्राकृतिक विज्ञान; (iii) सामाजिक विज्ञान; (iv) संस्‍कृति; और (v) संचार के पांच सदस्‍य होंगे। आयोग की सदस्‍यता दो श्रेणियों की है (1) व्‍यक्तिगत; और (2) संस्‍थागत। प्रत्‍येक उप-आयोग में 10 ‘व्‍यक्तिगत’ और 10 ‘संस्‍थागत’ सदस्‍यों से अधिक नहीं होंगे।
  • अध्‍यक्ष अपनी व्‍यक्तिगत हैसियत से प्रख्‍यात शिक्षाविदों/प्रख्‍यात विज्ञानियों/सामाजिक विज्ञानों, मानविकी और संस्‍कृति के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों/संचार के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों को सदस्‍य के रूप में नामित करता हैं। सदस्‍यों के कार्यकाल की अवधि चार वर्षों की होगी। तथापि, भारत सरकार के लिए छूट है कि आयोग को चार वर्षों से पहले भंग करें और पुन: गठित करे/या/व्‍यक्तिगत सदस्‍यों की अवधि में आयोग के चार वर्षों के कार्यकाल की समाप्ति पर पुनर्गठन होने तक विस्‍तार करे;
  • निधन, लगातार बिमारी, त्‍यागपत्र के कारण या अन्‍यथा परिस्थितियों में व्‍यक्तिगत सदस्‍यों के रिक्‍त स्‍थानों को केवल असमाप्‍त अवधि तक ही भरा जाएगा।
  • संस्‍थागत सदस्‍य संबंधित कार्य विभागों, महत्‍वपूर्ण सांविधिक और स्‍वायत्‍त निकायों, राष्‍ट्रीय व्‍यावसायिक संगठनों और शिक्षा, प्राकृतिक विज्ञानों, सामाजिक विज्ञानों, मानविकी, संस्‍कृति और संचार के क्षेत्रों से संबंधित गैर सरकारी संगठनों या उनमें कार्यरत राष्‍ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों से होंगे। वे चार वर्ष की अवधि तक पद धारण करेंगे जब तक कि सरकार द्वारा चार वर्ष की अवधि पूरे होने या उसकी अवधि में विस्‍तार होने से पहले आयोग को भंग या पुनर्गठित न किया जाए।
  • प्रत्‍येक संस्‍थागत सदस्‍य को आयोग या उप-आयोग जैसा भी मामला हो, की बैठकों में भाग लेने का अधिकार होगा। ऐसे प्रतिनिधि चर्चाओं में भाग ले सकेंगे और उसे मत देने का अधिकार होगा।
  • अध्‍यक्ष किसी विशेष प्रयोजन के लिए आयोग या उसकी समिति की किसी बैठक में आयोग में अतिरिक्‍त सदस्‍यों को सहयोजित करने का निदेश दे सकता है।
  • प्रत्‍येक उप-आयोग अपना अध्‍यक्ष उपाध्‍यक्ष और एम्‍बैसडर चुन सकेगा जो एक वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेगा।

आईएनसीसीयू के पदधारियों और सदस्‍यों के संबंध में ब्‍यौरा

अध्‍यक्ष
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महासचिव
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उप-महासचिव
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सचिव
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शिक्षा संबंधी उप आयोग के सदस्‍यों की सूची

अंतर्राष्‍ट्रीय दिवस

भारतीय राष्‍ट्रीय सहकारिता आयोग यूनेस्‍को (आईएनसीसीयू) के साथ देश में यूएन/यूनेस्‍को दिवस/सप्‍ताह/दशक मनाने को सुसाध्‍य बनाता है। नीचे दिए गए दिनों, वर्षों और दशकों को संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा सरकारी तौर पर मान्‍यता प्रदान की गई है।

अंतर्राष्‍ट्रीय दिवस

  • 21 फरवरी – अंतर्राष्‍ट्रीय मातृभाषा दिवस (यूनेस्‍को)
  • 8 मार्च – अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस
  • 21 मार्च – अंतर्राष्‍ट्रीय जातीय भेदभाव उन्‍मूलन दिवस
  • 21 मार्च - विश्‍व कविता दिवस (यूनेस्‍को)
  • 22 मार्च - विश्‍व जल दिवस 2005
  • 23 मार्च – विश्‍व मौसम दिवस (डब्‍ल्‍यूएचओ)
  • 24 मार्च – विश्‍व टी.बी. दिवस (डब्‍ल्‍यूएचओ)
  • 7 अप्रैल – विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस (डब्‍ल्‍यूएचओ)
  • 23 अप्रैल – विश्‍व पुस्‍तक और प्रतिलिप्‍याधिकार दिवस (यूनेस्‍को)
  • 3 मई – विश्‍व प्रैस स्‍वतंत्रता दिवस (यूनेस्‍को)
  • 15 मई – अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस
  • 17 मई – विश्‍व संचार दिवस (आईयूटी)
  • 21 मई – विश्‍व सांस्‍कृतिक विविधता बातचीत और विकास दिवस
  • 22 मई - अंतर्राष्‍ट्रीय जीव विज्ञान विविधता दिवस
  • 25 मई – अफ्रीका दिवस
  • मई 25 को प्रारंभ होने वाला – गैर स्‍वशासी प्रदेशों के साथ एकजुटता दिवस
  • 31 मई – विश्‍व तम्‍बाकू छोड़ो दिवस (डब्‍ल्‍यूएचओ)
  • 5 जून – विश्‍व पर्यावरण दिवस (यूएनईपी)
  • 17 जून – विश्‍व बंजर और सूखा निपटना दिवस
  • 20 जून – विश्‍व शरणार्थी दिवस
  • 23 जून को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस
  • 26 जून - अंतर्राष्‍ट्रीय नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार दिवस
  • 26 जून – संयुक्‍त राष्‍ट्र पीडित व्‍यक्तियों सहायता अंतर्राष्‍ट्रीय दिवस
  • जुलाई का प्रथम शनिवार – अंतर्राष्‍ट्रीय सहकारिता दिवस
  • 11 जुलाई – विश्‍व जनसंख्‍या दिवस (यूएनएफपीए)
  • 9 अगस्‍त - अंतर्राष्‍ट्रीय देशी व्‍यक्ति दिवस
  • 12 अगस्‍त - अंतर्राष्‍ट्रीय युवा दिवस
  • 23 अगस्‍त - अंतर्राष्‍ट्रीय दास व्‍यापार और उसके उन्‍मूलन संबंधित स्‍मरण दिवस (यूनेस्‍को)
  • 8 सितम्‍बर - अंतर्राष्‍ट्रीय साक्षरता दिवस (यूनेस्‍को)
  • 16 सितम्‍बर - अंतर्राष्‍ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस
  • 21 सितम्‍बर - अंतर्राष्‍ट्रीय शांति दिवस
  • सितम्‍बर का आखिरी सप्‍ताह – विश्‍व समुद्री दिवस (आईएमओ)
  • 1 अक्‍टूबर - अंतर्राष्‍ट्रीय वृद्ध व्‍यक्ति दिवस
  • अक्‍टूबर का पहला सोमवार – विश्‍व पर्यावास दिवस
  • 4-10 अक्‍टूबर – विश्‍व अंतरिक्ष सप्‍ताह
  • 5 अक्टूबर विश्व शिक्षक दिवस (यूनेस्को)
  • 9 अक्‍टूबर – विश्‍व पोस्‍ट दिवस (यूपीयू)
  • 10 अक्‍टूबर – विश्‍व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य दिवस
  • अक्‍टूबर का दूसरा बुधवार – अंतर्राष्‍ट्रीय प्राकृतिक आपदा कमी
  • 16 अक्‍टूबर – विश्‍व खाद्य दिवस (एफएओ)
  • 17 अक्‍टूबर - अंतर्राष्‍ट्रीय उन्‍मूलन गरीबी दिवस
  • 24 अक्‍टूबर – संयुक्‍त राष्‍ट्र दिवस
  • 24 अक्‍टूबर – विश्‍व सूचना विकास दिवस
  • 24-30 अक्‍टूबर – निस्‍त्रीकरण सप्‍ताह
  • 6 नवम्‍बर – युद्य और सशस्‍त्र संघर्ष में पर्यावरण के शोषण को रोकने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय दिवस
  • 10 नवम्‍बर – शांति और विकास के लिए विश्‍व विज्ञान दिवस (यूनेस्‍को)
  • 16 नवम्‍बर – अंतर्राष्‍ट्रीय सहनशीलता दिवस (यूनेस्‍को)
  • 20 नवम्‍बर – अफ्रीका औद्योगिकीकरण दिवस
  • 20 नवम्‍बर – सार्वभौमिक बाल दिवस (यूएनआईसीएफ)
  • 21 नवम्‍बर – विश्‍व दूरदर्शन दिवस
  • 21 नवम्‍बर – यूनेस्‍को मे दर्शनशास्‍त्र दिवस (यूनेस्‍को)
  • 25 नवम्‍बर – अंतर्राष्‍ट्रीय महिला हिंसा उन्‍मूलन दिवस
  • 29 नवम्‍बर – अंतर्राष्‍ट्रीय फिलिस्‍तीनी एकजुटता दिवस
  • 1 दिसम्‍बर – विश्‍व सहायता दिवस (डब्‍ल्‍यूएचओ)
  • 2 दिसम्‍बर – अंतर्राष्‍ट्रीय दास्‍ता उन्‍मूलन दिवस
  • 3 दिसम्‍बर - अंतर्राष्‍ट्रीय नि:शक्‍तजन दिवस
  • 5 दिसम्‍बर - अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास स्‍वैच्छिक दिवस
  • 7 दिसम्‍बर - अंतर्राष्‍ट्रीय नागर विमानन दिवस (आईसीएओ)
  • 9 दिसम्‍बर - अंतर्राष्‍ट्रीय भ्रष्‍टाचार निरोधी दिवस
  • 10 दिसम्‍बर - मानवाधिकार दिवस
  • 18 दिसमबर - अंतर्राष्‍ट्रीय प्रवासी दिवस

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा द्वारा उद्घोषित अंतर्राष्‍ट्रीय दिवस

  • 2002 – संयुक्‍त राष्‍ट्र सांस्‍कृतिक विरासत दिवस
  • 2002 - अंतर्राष्‍ट्रीय पारिस्थितिकी पर्यटन वर्ष
  • 2002 अंतर्राष्‍ट्रीय पर्वत वर्ष
  • 2003 - अंतर्राष्‍ट्रीय ताजा पानी दिवस
  • 2004 – अंतर्राष्‍ट्रीय दासता और उसके उन्‍मूलन के विरूद्ध स्‍मरण वर्ष
  • 2004 - अंतर्राष्‍ट्रीय चावल वर्ष
  • 2005 - अंतर्राष्‍ट्रीय माइक्रो क्रेडिट वर्ष
  • 2005 - अंतर्राष्‍ट्रीय खेल-कूद और शारीरिक शिक्षा वर्ष
  • 2005 अंतर्राष्‍ट्रीय भौतिकी वर्ष

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा द्वारा उद्घोषित अंतर्राष्‍ट्रीय दशक

  • 2005-2015 – संयुक्‍त राष्‍ट्र ‘जीवन के लिए जल’ कार्रवाई दशक
  • 2005-2014 – संयुक्‍त राष्‍ट्र शिक्षा हेतु धारणीय विकास दशक
  • 2003-2012 – संयुक्‍त राष्‍ट्र साक्षरता दशक
  • 2001-2010 – अंतर्राष्‍ट्रीय बाल विश्‍व शांति और अहिंसा संस्‍कृति दशक
  • 2001-2010 – द्वितीय अंतर्राष्‍ट्रीय उपनिवेशवाद समाप्ति दशक
  • 2001-2010 – विकासशील देशों विशेषकर अफ्रीका में रोलबैक मलेरिया दशक
  • 1997-2006 - गरीबी उन्‍मुलन हेतु प्रथम संयुक्‍त राष्‍ट्र दशक
  • 1995-2004 – संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार शिक्षा दशक
  • 1994-2004 – अंतर्राष्‍ट्रीय विश्‍व स्‍वदेशी व्‍यक्ति दशक
  • 1993-2003 - नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव को रोकने हेतु तृतीय दशक
  • 1993-2002 – अफ्रीका के लिए द्वितीय औद्योगिक विकास दशक
  • 1993-2002 – एशियाई और पैसिफिक नि:शक्‍तजन दशक

संयुक्‍त राष्‍ट्र साक्षरता दशक (2003-2012)

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने अपने 56वें सत्र में ‘संयुक्‍त राष्‍ट्र साक्षरता दशक: सभी के लिए शिक्षा’ शीर्षक से अपना 56/116 संकल्‍प अपना जिसमें 2003-2012 के दशक में सभी के लिए शिक्षा का लक्ष्‍य रखा गया। इस प्रस्‍ताव का 2000 में डाकर में आयोजित विश्‍व शिक्षा मंच में समर्थन किया गया।

संयुक्‍त राष्‍ट्र साक्षरता दशक, सभी के लिए शिक्षा के अभिन्‍न संघटक के रूप में प्‍लेटफार्म और प्रोत्‍साहन प्रदान करेगा।

  • बाल्‍यवस्‍था देखभाल और शिक्षा में खासतौर से सुभेद्य और लाभवंचित बच्‍चों के लिए शिक्षा में व्‍यापक प्रारंभिक विस्‍तार और सुधार करना
  • यह सुनिश्चित करना कि 2015 तक सभी बच्‍चे, खासतौर से लड़कियां, कठिन परिस्थितियों में रह रहे बच्‍चे और वे जो जातीय अलपसंख्‍यकों से संबंधित हों, को गुणवत्‍तायुक्‍त सम्‍पूर्ण, नि:शुल्‍क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा सुलभ हो;
  • यह सुनिश्चित करना कि सभी युवा लोगों और प्रौढ़ों की लिखने-पढ़ने की जरूरतें, समुचित अधिगम और जीवन-कौशल कार्यक्रमों के माध्‍यम से समान सुलभता के साथ पूरी हों;
  • वर्ष 2015 तक प्रौढ़ साक्षरता के स्‍तर में 50 प्रतिशत सुधार प्राप्‍त करना, विशेष करके महिलाओं के लिए और सभी प्रौढ़ों के लिए बुनियादी और निरंतर शिक्षा और बराबर सुलभता प्रदान करना;
  • प्रारंभिक और माध्‍यमिक शिक्षा में 2005 तक महिला-पुरूष असमानताओं को दूर करना और 2015 तक शिक्षा में जैण्‍डर समानता प्राप्‍त करना जिसमें फोकस बालिकाओं के लिए बुनियादी और उच्‍च कोटि की शिक्षा की प्राप्ति हेतु समान सुलभता सुनिश्चित करने पर हो;
  • शिक्षा की गुणवत्‍ता के सभी पहलुओं में सुधार करना और सभी के लिए उत्‍कृष्‍टता सुनिश्चित करना ताकि सभी को अधिगम के समान और मापनीय परिणाम प्राप्‍त हों; विशेषकर साक्षरता, गणित और आवश्‍यक जीवन कौशलों में;

विश्‍व के बच्‍चों के लिए शांति और अहिंसा की संस्‍कृति हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय दशक (2001-2010)

संयुक्‍त राष्‍ट्र ने 2001 और 2010 के बीच की अवधि को विश्‍व के बच्‍चों के लिए शांति और अहिंसा की संस्‍कृति हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय दशक घोषित किया। यूनेस्‍को को अग्रणी एजेंसी के रूप में घोषित किया गया और दशक की कार्य योजना के कार्यान्‍वयन से संबंधित सभी कार्यकलापों के समन्‍वय का कार्य सौंपा गया।

भारत में यूनेस्‍कों के साथ भारतीय राष्‍ट्रीय सहकारी आयोग (आईएनसीसीयू), इस दशक को सक्रियता से संबर्द्धित करता रहा है। आयोग ने देश में शांति की संस्‍कृति के पक्ष में व्‍यापक प्रचार करने के लिए 2001 में व्‍याख्‍यान श्रृंख्‍ला आयोजित की। एक व्‍याख्‍यान महामहिम दलाई लामा के बारे में था जिन्‍हें अपनी अंतर्राष्‍ट्रीय शांति प्रतिबद्धता, सुरक्षा और सभी मानवाधिकारों के लिए सम्‍मान के संवर्द्धन हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय ख्‍याति प्राप्‍त है।

वर्ष 2003 में सभ्‍यताओं में बातचीत के बारे में अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन भारत सरकार और युनेस्‍कों द्वारा मिलकर नई दिल्‍ली में आयोजित किया गया। सम्‍मेलन ‘नई दिल्‍ली घोषणा’ अपनाने में परिणत हुआ जिसे बाद में यूनेस्‍को द्वारा इस संबंध में आगामी कार्रवाई के लिए ढांचे के रूप में अपनाया गया। इस सम्‍मेलन की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में हमारे देश के एक संस्‍थान अर्थात भारतीय उच्‍च अध्‍ययन संस्‍थान, शिमला को सभ्‍यताओं में बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए नोडल संस्‍थान के रूप में नामित किया गया है।

धारणीय विकास हेतु शिक्षा के लिए यूएन दशक (2005-2014)

दिसम्‍बर 2002 में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा (यूएनजीए) में धारणीय विकास के लिए 2005-2014 तक चलने वाला संयुक्‍त राष्‍ट्र शिक्षा दशक मनाने के लिए एक संकल्‍प पारित किया। युनेस्‍कों को दशक के लिए और अंतर्राष्‍ट्रीय कार्यन्‍वयन योजना (आईआईएस) के विकास हेतु अग्रणी एजेंसी नामित किया गया। यूनेस्‍को की भूमिका दोहरी है, पहली है दशक के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय समन्‍वयक और मददगार की भूमिका, और दूसरी धारणीय विकास के लिए शिक्षा के वास्‍तविक कार्यान्‍वयक की भूमिका।

मसौदा आईआईएस संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में अक्‍टूबर 2014 के 59वें सत्र में प्रस्‍तुत किया गया। इसमें मोटे तौर पर इसका ढांचा निर्धारित किया गया है जो सभी भागीदारों और पणधारियों के लिए अपने विशेष/राष्‍ट्रीय संदर्भ में दशक में योगदान करने के लिए समग्र दिशा-निर्देश प्रदान करता है।

डीईएसडी का प्राथमिक लक्ष्‍य संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा संकल्‍पों 59/237 में निर्धारित है जिसमें महासभा ‘सरकारों को दशक में ..........को अपनी शिक्षा पद्धति और कार्य-नीतियों और जहां उचित हो राष्‍ट्रीय विकास योजनाओं को कार्यान्वित करने के उपाय शामिल करने के लिए प्रोत्‍साहित करती है। इसके अलावा दशक में ...... व्‍यापक भागीदारी के प्रति जन जागृति को संवर्द्धित करने हेतु अन्‍य बातों के साथ-साथ सहयोग और सिविल सोसायटी और अन्‍य सम्‍बद्ध पणधारियों की पहलों को आकर्षित करके, खासतौर से दशक के आरंभ में सरकारों का आह्वाहन करती है।संक्षेप में दशक का लक्ष्‍य है कि देश धारणीय विकास अर्थात सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय क्षमता की प्राप्ति करे ताकि अनवरत विकास का अंतर्राष्‍ट्रीय पथ अनुरक्षित रखा जा सके। बुनियादी साक्षरता से शुरू होकर और जीवन पर्यन्‍त विस्‍तार होने वाली शिक्षा एक ऐसी नींव है जिस पर धारणीय विकास अंतत: टिका हुआ है। अग्रणी एजेंसी के रूप में यूनेस्‍को शिक्षा को अधिक धारणीय मानव सोसायटी के आधार के रूप में संवर्द्धित करेगी और धारणीय विकास के मामलों तथा व्‍यवहारों को सभी स्‍तरों पर शिक्षा पद्धति के एकीकरण के लिए प्रोत्‍साहित करेगी जिसमें स्‍थानीय ज्ञान और संस्‍कृति शामिल हैं।

यूनेस्‍को दस्‍तावेज के रूप में अक्‍टूबर, 2005 में यथा प्रस्‍तुत अंतर्राष्‍ट्रीय कार्यान्‍वयन योजना, दशक के लक्ष्‍यों और उद्देश्‍यों के सार और शिक्षा की अन्‍य महत्‍वपूर्ण गतिविधियों का उल्‍लेख करती है। यह डीईएसडी के महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍यों को सूचीबद्ध करती है और ईएसडी के साथ आगे बढ़ने के लिए सात कार्यनीतियां निर्धारित करती है। यह कल्‍पना की गई है कि आईआईएस, डीईएसडी के सामूहिक स्‍वामित्‍व को परिपोषित करेगा और क्षेत्र और राष्‍ट्र इस अंतर्राष्‍ट्रीय योजना द्वारा प्रदान किए गए ढांचे के आधार पर योजनाएं, कार्यनीति दृष्टिकोण और समय-सारणियां सृजित करेंगे।

अंतर्राष्‍ट्रीय कार्यान्‍वयन योजना से ऑनलाइन पर यूनेस्‍को डीईएसडी वेबसाइट
http://www.unesco.org/new/en/education/themes/leading-the-international-agenda/education-for-sustainable-development/ पर मन्‍त्रणा प्राप्‍त की जा सकती है।

यूनेस्‍को के साथ सहयोग हेतु भारतीय राष्‍ट्रीय आयोग (आईएनसीसीयू) ने राष्‍ट्रीय समिति गठित की है जिसमें सरकार सिविल सोसायटी और शिक्षा पर एनजीओ, पर्यावरण, संस्‍कृति, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, संचार और अन्‍य संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ और अधिकारी शामिल हैं ताकि धारणीय विकास हेतु शिक्षा (ईएसडी) के लक्ष्‍यों के अनुसरण में देश के भीतर कार्यकलापों का व्‍यवस्थित कार्यान्‍वयन दी और चलाई गई गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। पर्यावरणीय शिक्षा केन्‍द्र (सीईई), अहमदाबाद को देश में सभी डीईएसडी से संबंधित कार्यकलापों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।