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विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग

विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग विश्‍वविद्यालय शिक्षा के मापदंडों के समन्‍वय, निर्धारण और अनुरक्षण हेतु 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्‍थापित एक स्‍वायत्‍त संगठन है। पात्र विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्‍त आयोग केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों को उच्‍चतर शिक्षा के विकास हेतु आवश्‍यक उपायों पर सुझाव भी देता है। यह बंगलौर, भोपाल, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और पुणे में स्थित अपने 6 क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ-साथ नई दिल्‍ली से कार्य करता है।

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अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई)

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की स्‍थापना परामर्शी निकाय के रूप में 1945 में की गई और बाद में वर्ष 1987 में इसे संसद के अधिनियम द्वारा सांविधिक दर्जा दिया गया। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद तकनीकी संस्‍थान खोलने, नए पाठ्यक्रम प्रारंभ करने और तकनीकी संस्‍थाओं में दाखिला क्षमता में विविधता के लिए अनुमोदन देता है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने नए संस्‍थानों की प्रक्रिया और अनुमोदन के लिए, नए पाठ्यक्रम प्रारंभ करने और डिप्‍लोमा स्‍तर के तकनीकी संस्‍थाओं के लिए दाखिला क्षमता में विविधता के लिए संबंधित राज्‍य सरकारों को शक्तियों का प्रत्‍यायोजन किया है। इसने ऐसे संस्‍थानों के लिए मानक और मापदंड भी निर्धारित किए है। यह तकनीकी संस्‍थाओं या कार्यक्रमों के प्रत्‍यायन द्वारा तकनीकी शिक्षा के गुणवत्‍ता विकास को भी सुनिश्चित करता है। अपने विनियामक भूमिका के अतिरिक्‍त अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की प्रोत्‍साहित करने संबंधी महत्‍वपूर्ण भूमिका भी है जो इसे महिलाओं, नि:शक्‍तजनों के लिए तकनीकी शिक्षा को प्रोत्‍साहित करके अपनी योजनाओं के द्वारा इन्‍हें कार्यान्वित करता है जिसमें यह नवाचार, संकाय, अनुसंधान और विकास, तकनीकी संस्‍थाओं को अनुदान देने आदि को प्रोत्‍साहित करता है।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के तहत तकनीकी संस्‍थाओं में तकनीकी शिक्षा के वृह्त परिदृश्‍य में स्‍नातकोत्‍तर, अवर-स्‍नातक और डिप्‍लोमा शामिल हैं जिसमें इंजीनियरिंग/ प्रौद्योगिकी, फार्मेसी, वास्‍तुशिल्‍प, होटल प्रबंधन और केटरिंग प्रौद्योगिकी, प्रबंध अध्‍ययन, कम्‍प्‍यूटर एप्‍लीकेशन और अनुपयुक्‍त कला और शिल्‍प शामिल हैं।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद का मुख्‍याल नई दिल्‍ली में है और इसके 7 क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, चेन्‍नई, कानपुर, मुंबई, चंडीगढ़, भोपाल और बंगलौर में स्थित हैं। हैदराबाद में एक नया क्षेत्रीय कार्यालय स्‍थापित किया गया है और यह शीघ्र ही कार्यात्‍मक हो जाएगा।

परिषद अपने कार्यों का संचालन कार्यकारी परिषद के माध्‍यम से करता है।

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वास्‍तुकला परिषद (सीओए)

वास्‍तुकला परिषद (सीओए) भारत सरकार द्वारा वास्‍तुकला अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत गठित किया गया, जिसे संसद द्वारा अधिनियमित किया गया, जो 1 सितंबर, 1972 से लागू हुआ। अधिनियम में वास्‍तुकारों और इससे संबंधित मामलों के पंजीकरण की व्‍यवस्‍था है। वास्‍तुकारों के रजिस्‍टर के रखरखाव के अतिरिक्‍त वास्‍तुकला परिषद विशेषज्ञ समितियों द्वारा किए गए निरीक्षण से अधिनियम के तहत मान्‍यता प्राप्‍त अर्हताओं के मानकों का रखरखाव देखता है। निरीक्षणों के आधार पर वास्‍तुकला परिषद संस्‍थाओं द्वारा अनुरक्षित अपर्याप्‍त मानकों के संबंध में उपयुक्‍त सरकारों को अभ्‍यावेदन दे सकता है। केन्‍द्र सरकार द्वारा की गई जांच, यदि उचित पाई जाती है तो उपयुक्‍त सरकारों की टिप्‍पणियों को ध्‍यान में रखते हुए, वास्‍तुकला संस्‍थाओं को वास्‍तुकला से संबंधित अर्हता की मान्‍यता रद्द करने का निर्णय लेना होता है। वास्‍तुकला परिषद की सिफारिशों को केन्‍द्र सरकार द्वारा अधिनियम के तहत मान्‍यता प्राप्‍त किसी भी वास्‍तुकला अर्हता से पहले लेना होता है।

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