सिंहावलोकन
हमारे गणतंत्र के प्रारंभ से ही सभी के लिए समान अवसरों के प्रावधान के माध्यम से सामाजिक ताने-बाने के सुदृढ़ीकरण हेतु सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा (यूईई) की भूमिका को स्वीकार किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार किए जाने के साथ ही भारत ने कई योजनागत एवं कार्यक्रम अंत:क्षेपों के माध्यम से यूईई के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक कार्यक्रम प्रारंभ किए है।
प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण हेतु सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) का कार्यान्वयन भारत के मुख्य कार्यक्रम के तौर पर किया जा रहा है। इसके समग्र लक्ष्यों में शामिल है-सार्वभौमिक सुलभता एवं प्रतिधारण, शिक्षा में सामाजिक श्रेणी एवं बालक-बालिका के अंतरों को दूर करना तथा बच्चों के अधिगम स्तरों में बढ़ोतरी। सर्व शिक्षा अभियान मे विविध प्रकार के अंत:क्षेपों का प्रावधान किया गया है जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ नए स्कूलों का निर्माण एवं खोला जाना, अतिरिक्त अध्यापक, नियमित अध्यापक, सेवा-कालीन प्रशिक्षण, नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकें, वर्दियां सुनिश्चित करने के लिए अकादमिक संसाधन सहायता एवं अधिगम परिणामों में सुधार करने के लिए नि:शुल्क सहायता प्रदान किया जाना शामिल है।
नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम,2009 न्यायोचित कानूनी ढांचे का प्रावधान करता है जो 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का अधिकार देता है। यह बच्चों के साम्यता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों पर आधारित अधिकार के लिए प्रावधान करता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बच्चों को ऐसी शिक्षा का अधिकार देता है जो डर, दबाव और चिंता से मुक्त है।