सिंहावलोकन
माध्यमिक स्तर पर नि:शक्तजन समावेशी शिक्षा योजना (ईडीएसएस) वर्ष 2009-10 से प्रारम्भ की गई है। यह योजना नि:शक्त बच्चों के लिए एकीकृत योजना (आईईडीसी) संबंधी पहले की योजना के स्थान पर है और कक्षा IX-XII में पढने वाले नि:शक्त बच्चों की समावेशी शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करती है। यह योजना अब वर्ष 2013 से राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के अंतर्गत सम्मिलित कर ली गई है। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र भी आरएमएसए के रूप में इसे आरएमएसए योजना के अंतर्गत सम्मिलित करने की प्रक्रिया में है।
उद्देश्य
सभी नि:शक्त छात्रों को आठ वर्षों की प्राथमिक स्कूली पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आगे चार वर्षों की माध्यमिक स्कूली पढ़ाई समावेशी और सहायक माहौल में करने हेतु समर्थ बनाना।
लक्ष्य
योजना में नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम (1995) और राष्ट्रीय न्यास अधिनियम (1999) के अंतर्गत कक्षा IX-XII में पढ़ने वाले यथा-परिभाषित एक या अधिक नि:शक्तता नामश: दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, कुष्ठ रोग उपचारित, श्रवण शक्ति की कमी, गतिविषय नि:शक्तता, मंदबुद्धिता, मानसिक रूग्णता, आत्म-विमोह और प्रमस्तिष्क घात वाले जिसमें अंतत: वाणी की हानि अधिगम नि:शक्तता इत्यादि भी शामिल है। इसमें सरकारी, स्थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे शामिल है, नि:शक्तता वाली बालिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिससे उन्हें माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने और अपनी योग्यता का विकास करने हेतु सूचना और मार्गदर्शन सुलभ हो। योजना के अंतर्गत हर राज्य में मॉडल समावेशी स्कूलों की स्थापना करने की कल्पना की गई है।
संघटक
- छात्र अभिमुखी घटक जैसे चिकित्सा और शैक्षिक निर्धारण, पुस्तकें और लेखन सामग्री, वर्दियां, परिवहन भत्ता, रीडर पाठक भत्ता, बालिकाओं के लिए वृत्तिका, सहायक सेवाएं, सहायक युक्तियां, भोजन और आवास सुविधा, रोगोपचार सेवाएं, शिक्षण-अधिगम सामग्री इत्यादि।
- अन्य संघटकों में विशेष शिक्षा शिक्षकों की नियुक्ति, ऐसे बच्चों को पढ़ाने हेतु सामान्य शिक्षकों के लिए भत्ते, शिक्षक प्रशिक्षण, स्कूल प्रशासकों का अभिविन्यास, संसाधन कक्ष की स्थापना, बाधायुक्त वातावरण इत्यादि शामिल हैं।
कार्यान्वयन अभिकरण
राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र (यूटी) प्रशासन कार्यान्वयन अभिकरण हैं। इनमें नि:शक्तजनों की शिक्षा के क्षेत्र में योजना कार्यान्वयन का अनुभव रखने वाले स्वैच्छिक संगठन भी शामिल हो सकते हैं।
वित्तीय सहायता
योजना में शामिल सभी मदों के लिए केन्द्रीय सहायता 100 प्रतिशत आधार पर है। राज्य सरकारों से प्रतिवर्ष प्रति नि:शक्त बच्चे के लिए केवल 600/- रूपए की छात्रवृत्ति का प्रावधान रखना अपेक्षित है।
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