You are here
प्रस्तावना - आईएसबीएन
अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या आईएसबीएन, एकमात्र अंर्तराष्ट्रीय प्रकाशक पहचान संख्या है, जो मोनोग्राफिक प्रकाशनों के लिए हैं। आईएसबीएन एक तेरह अंकीय सख्या है जिसने लंबी विस्त्तत संदर्भिका रिकार्डो का स्थान दिया है। आईएसबीएन विश्व में एक लधु और मशीन द्वारा पढी जाने वालीस्पष्ट पहचान संख्या है, जो किसी पुस्तक को बिना किसी गलती को पहचानती है। आईएसबीएन मशीन-पछित, 13 अंकीय रूप में जैसे पुसतक तथा ईएएनबार कोड में है। यह पुस्तक की दुकानों में इलेक्ट्रोनिक प्चांईट ऑफ सेल को चलाने वाली तेज प्रणाली है। आईएसबीएन मुचयत: पुस्तकों के आर्डर तथा वितरण को सरल करती है, जो तेज और उपयुक्त तरीका है। पुस्तक व्यापार में आधुनिक वितरण और पुनर्गछन उसमें आईएसबीएन एक अनिवार्य दस्तावेज है। पुस्तक बाजार में आईएसबीएन एक महत्वपूर्ण कारक हैं।
विश्व में 1972 अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या प्रणाली 1972 में आरंभ की गई ओर यह प्रणाली भारत में आईएसबीएन के लिए राजा राम मोहन राष्ट्रीय एजेन्सी द्वारा जनवरी 1985 में प्रचालन में आई और सदस्य देशों के वर्णनात्मक क्रम में क्रम सं 55 पर है। भारतीय आईएसबीएन एजेन्सी प्रकाशकों/लेखकों के अधिकतम पंजीकरण तथा मास-मीडिया प्रकाशक कार्यक्रमों के माध्यम से सरकारी/अर्ध गैर-सरकारी संगठनों, समाचारपत्रों के माध्यम से प्रचार, विभिन्न राष्ट्रीय पुस्तक-मेलों में भागीदारी,पुस्तक-प्रदर्शनियों तथा प्रकाशकों एवं पुस्तक विक्रेताओं इत्यादि विभिन्न संगठनों की सहायता सें अधिकतम पंजीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत में इस प्रणाली को लोकप्रिय बनाने हेतु अत्याधिक प्रयास कर रही है।
भारत में पुस्तक उद्योग अत्याधिक जटिल है जिसमें व्यापक स्तर पर वयावसायिक लोग जैसे लेखक संपादक, मुद्रक एवं वितरक इत्यादि शामिल हैं। वर्तमान में भारत सबसे अधिक बहु-भाषाई प्रकाशक देशों में से एक है। भारत विश्व में छठा सबसे बडा पुस्तक प्रकाशक देश है तथा सयुंक्त राय अमेरीका एवं इंग्लैंड के बाद अंग्रेजी पुस्तकों का तीसरा सबसे बडा उत्पादक देश है।