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सिंहावलोकन
पुस्तकें मानवीय विभाग की सृजनता, राष्ट्र और जनमानस की बुद्धि और ज्ञान की अभिव्यक्ति है। पुस्तकों का समाज की उन्नति में सदैव महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पुस्तक संवर्धन विभाग के पास बहुत सी योजनाएं और कार्यकलाप है जो अन्य बातों के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों की पुस्तकों के प्रति आसान पहुंच, पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने, पुस्तक प्रकाशन उद्योग के विकास में मदद और आम लोकप्रिय साहित्य को प्रोत्साहन देना है, इस प्रकार देश के विकास में योगदान प्रदान करना है।
इस संबंध में कार्यान्वित किए जा रहे कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम निम्नानुसार हैं:-
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत की स्थापना, अंग्रेजी सहित सभी मुख्य भारतीय भाषाओं में वहन करने योग्य मूल्य पर अच्छे साहित्य को प्रकाशित करके और भारत में तथा विदेशों में सेमिनार, कार्यशालाएं, पुस्तक मेले, पुस्तक प्रदर्शनियां आयोजित करने जैसे पुस्तक संवर्धन कार्यकलाप आरंभ करके समाज में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री, श्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत 1 अगस्त, 1957 को की गई थी।
विकास के वर्षों के दौरान, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने निम्नलिखित उद्देश्यों का अनुसरण किया:
- अच्छा साहित्य तैयार करना और इसे बढ़ावा देना और ऐसे साहित्य को सामान्य मूल्य पर जनता को उपलब्ध कराना।
- अंग्रेजी, हिन्दी तथा भारत के संविधान में मान्यताप्राप्त अन्य भाषाओं में विशेष रूप से निम्नलिखित प्रकार की पुस्तकें प्रकाशित करना।
- भारत का शास्त्रीय साहित्य
- भारतीय लेखकों के भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट कार्य और उनका एक भारतीय भाषा से अन्य भारतीय भाषा में अनुवाद
- विदेशी भाषाओं की उत्कृष्ट पुस्तकों का अनुवाद
- लोकप्रिय प्रसार के लिए आधुनिक ज्ञान की उत्कृष्ट पुस्तकें।
- पुस्तकों की सूची प्रकाशित करना, प्रदर्शनियां और सेमिनार आयोजित करना तथा आम जनता में पुस्तकों के प्रति रूचि पैदा करने हेतु सभी अनिवार्य कदम उठाना।
- देश के विभिन्न भागों में न्यास के उद्देश्यों के समान उद्देश्यों के साथ क्षेत्रीय पुस्तक न्यास स्थापित करना अथवा इसे बढ़ावा देना।