प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय
प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय राष्ट्रीय आधारभूत शिक्षा केन्द्र (एन एफ ई सी) से उदित हुआ, जिसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा 1956 में की गई थी। इस केन्द्र का प्रौढ़ शिक्षा विभाग के रूप में पुन: नामकरण किया गया और 1961 में इसे रा.शै.अनु.प्र.प. के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान का भाग बनाया गया। सरकार के प्रौढ़ शिक्षा पर जोर के परिणामस्वरूप देश में प्रौढ़ शिक्षा कार्यकलापों/कार्यक्रमों में पर्याप्त वृद्धि को देखते हुए इस विभाग को रा.शै.अनु.एवं प्र.प. से अलग किया गया और 1971 में इसे स्वतंत्र पहचान दी गई। कुछ समय के लिए इसे अनौपचारिक (वयस्क) शिक्षा निदेशालय के रूप में जाना जाता रहा था और अंतत: प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय के रूप में। वर्षों से इस निदेशालय ने प्रौढ़ शिक्षा/साक्षरता क्षेत्र में कार्यकलापों का आकार और कवरेज दोनों बढ़ाया है। वर्तमान में इसकी निदेशालय को स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक अधीनस्थ कार्यालय की हैसियत है।
प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं : -
- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन को अकादमिक और तकनीकी संसाधन सहायता प्रदान करना।
- शिक्षण पठन सामग्रियां तैयार करने के दिशानिर्देश तैयार करना।
- प्रशिक्षण और अभिमुखन कार्यक्रमों का आयोजन करना।
- साक्षरता अभियानों की प्रगति और स्थिति की निगरानी करना और राष्ट्रीय साक्षरता मिशन को नियमित फीडबैक प्रदान करना।
- मीडिया सामग्री का निर्माण और राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए समग्र मीडिया अर्थात् इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, परंपरागत और लोक मीडिया का उपयोग करना।
- सामाजिक विज्ञान अनुसंधान संस्थानों के जरिए आयोजित साक्षरता अभियानों के समवर्ती और बाहरी मूल्यांकनों के निष्कर्षों पर एन एल एम को नियमित फीडबैक देना।
- एन एल एम की ओर से प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों के घटक और प्रक्रिया के सतत् सुधार के लिए सभी जिला साक्षरता समितियों, राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरणों, राज्य संसाधन केन्द्रों, जन शिक्षण संस्थानों और अन्य संस्थानों/एजेंसियों का समन्वयन,सहयोग और नेटवर्किंग।