अल्पसंख्यकों का शैक्षिक विकास
सिंहावलोकन
1. ''शिक्षा सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के लिए एक मात्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है। एक सुशिक्षित आबादी, जो ज्ञान और कौशल से पर्याप्त रूप से सज्जित हो न केवल आर्थिक विकास की सहायता के लिए अनिवार्य है, वरन् यह विकास समावेशी हो इसके लिए पूर्व शर्त भी है, क्योंकि शिक्षित और कुशल व्यक्ति ही रोजगार अवसरों, जो विकास प्रदान करेगा, से सर्वाधिक लाभ उठा सकते हैं'' (XII वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण का पैरा 10.1)। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भारत के मानव संसाधान क्षमता को समानता और उत्कृष्टता के साथ पूर्णता का अनुभव करने के दर्शन के साथ समावेशी कार्यसूची पर फोकस किया है।
2. ''सभी अल्पसंख्यकों को .......... अपना स्वयं का शैक्षिक संस्थान स्थापित और प्रशासित करने का अधिकार होगा'' ------- यह संविधान के अनुच्छेद 30(1) के अनुसार, अधिदेशित है। सरकार अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों, जो अल्पसंख्यकों का बड़ा घटक है, की शिक्षा में मौजूदा पिछड़ापन दूर करने के लिए वचनबद्ध है। अत: प्रधानमंत्री के नये 15 सूत्री कार्यक्रम में अन्य बातों के साथ-साथ, आर्थिक कार्यकलापों और नियोजन में अल्पसंख्यकों की साम्य भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने का लक्ष्य है। (अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (एम ओ एम ए) को लिंक)
3. 2001 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार अल्पसंख्यक आबादी अर्थात् मुसलमानों, ईसाइयों, सिक्खों, बौद्धों एवं जोरोस्ट्रियनों (पारिसयों) की प्रतिशतता और उनकी साक्षरता दर इस प्रकार है :
समुदाय | आबादी की प्रतिशतता | साक्षरता की प्रतिशतता |
मुसलमान | 12.4 | 59.1 |
ईसाई | 2.3 | 80.3 |
सिक्ख | 1.9 | 69.4 |
बौद्ध | 0.8 | 72.7 |
जोरोस्ट्रियन (पारसी) | 0.007 | 97.9 |
4. 'सच्चर समिति रिपोर्ट' के अनुसार ''6-14 वर्ष की आयु समूह के एक-चौथाई मुस्लिम बच्चे या तो कभी स्कूल नहीं गए या उन्होंने स्कूल छोड़ दी। 17 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे के लिए मैट्रिक स्तर पर मुस्लिमों की शैक्षिक उपलब्धि 26 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 17 प्रतिशत है। केवल 50 प्रतिशत मुस्लिम जो मिडिल स्कूल पूरा करते हैं, राष्ट्रीय स्तर पर 62 प्रतिशत की तुलना में माध्यमिक शिक्षा पूरा करते हैं।'' रिपोर्ट में मुस्लिम महिलाओं, ग्रामीण क्षेत्रों और तकनीकी एवं उच्चतर शिक्षा में मुस्लिमों के बीच निम्न स्तर की शैक्षणिक प्राप्ति की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया गया है। न्याययमूर्ति राजिन्दर सच्चर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने मुस्लिम समुदायों की शैक्षिक स्थिति के सुधार के लिए अनेक सिफारिशें भी की हैं (सच्चर समिति रिपोर्ट को लिंक)[2] । इसके अलावा श्री मो. ए. ए. फातमी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में तत्कालीन राज्य मंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने भी न्याययमूर्ति सच्चर समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर कार्रवाई योजना निरूपित की है।(सच्चर समिति रिपोर्ट को लिंक).इसके अलावा श्री मो. ए. ए. फातमी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में तत्कालीन राज्य मंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने भी न्याययमूर्ति सच्चर समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर कार्रवाई योजना निरूपित की है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष हेतु लिंक
5. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा निगरानी समिति का भी गठन किया है। श्री सिराज हुसैन, भा.प्र.से., अपर सचिव, भारत सरकार और पूर्व कुलपति, जामिया हमदर्द की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति भी अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण से संबंधित मुद्दों को दूर करने के लिए गठित की गई है। स्थायी समिति और इसकी उप-समितियों के उद्देश्य इस प्रकार हैं :-
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही अल्पसंख्यक से संबंधित स्कीमों/कार्यक्रमों की निगरानी करना;
- अल्पसंख्यक समुदाय की विशिष्ट जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करने के मद्देनजर मानव संसाधन विकास मंत्रालय की स्कीमों में संशोधन की सलाह देना, यदि अपेक्षित है;
- पूर्ववर्ती समितियों, जिन्होंने अल्पसंख्यक शिक्षा और कल्याण के मुद्दे पर विचार किया, की रिपोर्ट का अध्ययन करना और उन समितियों की सिफारिशों/निष्कर्षों को कार्यान्वित करने के उपायों एवं साधनों का सुझाव देना;
- Tमानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही अल्पसंख्यक से संबंधित स्कीमों/कार्यक्रमों के लिए निगरानी व्यवस्था की स्थापना पर समिति को सलाह देना;
- अल्पसंख्यक शिक्षा से संबंधित कोई अन्य मुद्दे, जिसे समिति सरकार और एन एम सी एम ई के ध्यान में लाना चाहती है।
6. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने XI वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान नीचे दिए गए ब्यौरों के अनुसार कतिपय महत्वपूर्ण कार्यकलाप शुरू किए और उसकी गति XII वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जारी/त्वरित है :
- मदरसों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा की स्कीम (एस पी क्यू ई एम)
- सहायता-प्राप्त/गैर सहायता-प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थाओं के अवसंरचना विकास की स्कीम (आई डी एम आई)
- कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (के जी वी एम)
- मदरसों/मकतबों तक मध्याह्न भोजन (एम डी एम) योजना का विस्तार
- 'साक्षर भारत'
- जन शिक्षण संस्थान (जे एस एस)
- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आर एम एस ए)
- राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एन सी पी यू एल) का सुदृढ़ीकरण
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग (एन सी एम ई आई) की स्थापना
- अल्पसंख्यक बहुल जिलों की सूची
- कौशल विकास के लिए समन्वित कार्रवाई के अंतर्गत पॉलिटेक्निक उप-मिशन
- बालिका छात्रावास स्कीम
- आदर्श स्कूलों की स्थापना
7. इसके अलावा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा छात्रवृत्ति/फेलोशिप स्कीमें और बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एम एस डी पी) कार्यान्वित किए जा रहे हैं।
संविधान क्या कहता है
संविधान का अनुच्छेद 46 कहता है कि, ''राज्य विशेष सावधानी से व्यक्तियों के कमजोर वर्गों, खासकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों का संवर्धन करेगा और उन्हें सामाजिक अन्याय और सभी तरह के सामाजिक दोहन से रक्षा करेगा''। संविधान का अनुच्छेद 330, 332, 335, 338 से 342 और पूरी पांचवीं एवं छठी अनुसूची अनुच्छेद 46 में नियत उद्देश्यों के कार्यान्वयन के लिए विशेष प्रावधानों को डील करता है। इसी तरह अनुच्छेद 30(1) में अपनी इच्छा के शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के अल्पसंख्यकों के अधिकारों का प्रावधान। इन प्रावधानों को हमारे समाज में इन कमजोर वर्गों के लाभ के लिए पूरी तरह उपयोग किए जाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा निगरानी समिति (एन एम सी एम ई)
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा निगरानी समिति (एन एम सी एम ई) की स्थापना मंत्रालय के दिनांक 23.12.2011 के संकल्प सं. 6-4/2010-एमसी(भाग) द्वारा की गई है। पुनर्गठित समिति की पहली बैठक नई दिल्ली में 5 मार्च, 2012 को हुई। इस बैठक में एन एम सी एम ई की स्थायी समिति और एन एम सी एम ई की पांच उप-समितियों के गठन का निर्णय लिया गया, जो इस प्रकार हैं :
- अल्पसंख्यक पर लक्षित स्कीमों का कार्यान्वयन
- अल्पसंख्यक की शैक्षिक आवश्यकताओं का जिला-वार मापन-क्षेत्र
- अल्पसंख्यकों की व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास
- बालिकाओं की शिक्षा
- उर्दू भाषा का संवर्धन और अंग्रेजी ज्ञान के जरिए अल्पसंख्यकों के बीच संगतता की वृद्धि।
सरकार अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और आर्थिक स्थिति के सुधार के लिए निम्नलिखित योजनाएं भी चला रही हैं :
- मदरसों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा की स्कीम (एस पी क्यू ई एम)
- सहायता/गैर सहायता-प्राप्त निजी अल्पसंख्यक संस्थानों की अवसंरचना विकास स्कीम (आई डी एम आई) – (प्रारंभिक माध्यमिक/वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल)
निम्नलिखित सामग्री देश में अल्पसंख्यकों को समान अवसर प्रदान करने के लिए किए जाने वाले कार्य की बेहतर समझ में आपकी सहायता करेगी :-
- प्रधानमंत्री का 15 सूत्री अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रम (स्थिति रिपोर्ट सहित)
- अल्पसंख्यकों की शैक्षिक उन्नति की महत्वपूर्ण पहलें
- सच्चर समिति की सिफारिशों पर सरकार का निर्णय (कृत कार्रवाई की निगरानी सहित)
- एन यू ई पी ए द्वारा आयोजित अनुसंधान का निष्कर्ष – उच्चतर शिक्षा में मुस्लिमों की भागीदारी